कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर बसे गेरांव गांव ने अपनी अनूठी कृषि पद्धति के कारण पूरे छत्तीसगढ़ में सुर्खियां बटोरी हैं। घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा यह गांव न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि साल भर चलने वाली खेती के लिए भी मशहूर है। ग्रामीणों का मानना है कि बिठराही पहाड़ से निकलने वाला पानी उनके लिए प्रकृति का वरदान है, जो उनके खेतों को हमेशा हरा-भरा रखता है और अकाल की आशंका को दूर करता है।
साल भर हरे-भरे खेत
जब गर्मियों में आसपास के इलाकों में पानी की कमी से किसान परेशान रहते हैं, तब गेरांव के खेत लहलहाते रहते हैं। गांव के किसान खेम सिंह राठिया बताते हैं, “गेरांव में साल भर खेती होती है, क्योंकि यहां पानी की कोई कमी नहीं है। बिठराही पहाड़ हमारे लिए देवता की तरह है।” पहाड़ से निकलने वाला पानी एक छोटे नाले के रूप में गांव तक पहुंचता है, जो सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराता है। इस प्राकृतिक जल स्रोत के कारण किसान धान, सब्जियां और अन्य फसलों की खेती बिना किसी रुकावट के कर पाते हैं।
प्रकृति का वरदान, ग्रामीणों की मेहनत
गेरांव गांव की यह खासियत इसे अन्य गांवों से अलग करती है। बिठराही पहाड़ से आने वाला पानी न केवल खेती के लिए वरदान है, बल्कि गांव की प्राकृतिक सुंदरता को भी बढ़ाता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी ने उन्हें कभी निराश नहीं किया। उनकी मेहनत और प्रकृति के इस उपहार ने गेरांव को एक आत्मनिर्भर और समृद्ध गांव बनाया है।
प्रेरणा का स्रोत
गेरांव गांव की यह कहानी न केवल कोरबा जिले, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरणादायक है। यह दर्शाता है कि प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग और ग्रामीणों की मेहनत किस तरह किसी क्षेत्र को सूखे और अकाल से मुक्त रख सकती है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग से अपेक्षा है कि गेरांव की इस अनूठी पद्धति को अन्य क्षेत्रों में भी प्रोत्साहित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
Editor – Niraj Jaiswal
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