नेटवर्क विहीन 60 गांवों में पहुंचा बीएसएनल टॉवर

कोरबा। बीएसएनल ने मोबाइल नेटवर्क के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए जिले के उस कोने में भी अपने नेटवर्क का जाल फैला दिया है जहां आज तक कोई नेटवर्क नहीं पहुंचा। कम संसाधन और सीमित कर्मचारियों के बूते जिले में बीएसएनल ने अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है।


शहर पॉश इलाके में विशाल बिल्डिंग पर संचालित दफ्तर में मात्र सात कर्मचारियों ने जिले में बीसएनएल को स्थापित करने का बीड़ा उठाया और कामयाबी भी हासिल की। शहरी इलाकों के अलावा बीएसएनएल ने सुदूर वनांचल के उन इलाकों को टारगेट किया जहां कभी भी किसी मोबाइल का नेटवर्क नहीं था । इस चुनौती से निपटने के लिए यहां के अधिकारियों ने सबसे पहले टॉवरों को अपडेट किया।

फिर पहले चरण में 150 टॉवर लगाने का फैसला लिया और उन 60 गांवों में जहां मोबाइल नेटवर्क का कोई नामो निशान नहीं था वहां नये टॉवर लगाये गए। इन ग्रामों में बाली उमराव, जेमरा, राहा, बगदरा, पोड़ी उपरोड़ा में घनवारा, रिंगनिया, थिरियामा, जजगी, लेमरू देवपहरी, एलांग, पेंड्रीडीह, डोकरमना, सरमा शामिल है। सुदूर जंगल पहाडिय़ों में टॉवर लगाकर तेजस नेटवर्क के जरिये सेवाएं देना शुरू किया।

इसका अच्छा प्रतिसाद भी मिला। एक माह में बीसएनएल के इन 60 गांवों और आसपास के इलाकों में 873 सिम बिके, जिनका लाभ उन लोगों को मिल रहा है जहां मोबाइल नेटवर्क के लिए लोग तरस रहे थे। एक पुराना नेटवर्क और मेक इन इंडिया के तहत तेजस के द्वारा बनाया गया नेटवर्क, दूसरा फायदा बीएसएनल को ये मिला जब बाजार में बड़ी मोबाइल कंपनियों ने रेट बढ़ाया तब बीएसएनल ने इसका पूरा फायदा उठाया। इस समय जिले में बीएसएनएल के काफी उपभेक्ता बढ़ गए हैं।


ऑपरेटिंग प्राफिट में बीएसएनएल
7 कर्मचारी, 11 कान्ट्रेक्ट कर्मचारियों ने मिलकर बीएसएनएल को आगे ले जाने में कड़ी मेहनत की जिसका परिणाम यह हुआ कि 2023 में जहां जिले में 300 जीबी की खपत होती थी, वहीं अब 2024 में बढक़र 7000 जीबी तक पहुंच चुका है।

आने वाले वर्ष 2025 में ये आंकड़ा काफी ऊपर निकल जाने की उम्मीद है। साकेत गोस्वामी, एसडीओ बीएसएनएल ने बताया कि बीएसएनएल बाजार में डटकर खड़ा है। मेक इन इंडिया के तहत तेजी से आगे बढ़ रहा है।