कोरबा। कुछ महीने पहले तक घर से बाहर के हैंडपम्प में जाकर सुबह-शाम पानी भरकर घर लाना कोथारी गांव की महिला सुखमती बाई की दिनचर्या थी। वह रोज सबेरे उठ जाती, गांव की अन्य महिलाओं के बीच अपनी बारी आने पर हैंडपम्प के नीचे अपना बर्तन रखती और हाथों से हैंडपम्प चलाती, फिर पानी घर लाती।
कई सालों तक इसी तरह घर में पानी का इंतजाम करती आई सुखमती बाई को पानी तो मिल जाता था, लेकिन वह इस पानी से खुश नहीं थी। इतनी मेहनत करने के बाद पानी लाने वाली सुखमती बाई जब कभी पानी पीती तो उन्हें इसका स्वाद बिल्कुल भी नहीं भाता था, क्योंकि पानी में लोहे का स्वाद आता था। घर के अन्य सदस्यों को भी पानी का स्वाद पसंद नहीं था।
हैंडपंप के अलावा पानी का कोई विकल्प नहीं होने की वजह से सभी मजबूरी में लोहे का स्वाद वाला पानी पी जाते थे।
अब जबकि जल जीवन मिशन से गांव के घरों में नल लग गया है तो सुखमती बाई सहित परिवार के अन्य सदस्यों और गांव के लोगों को पानी का स्वाद बढिय़ा लगता है। उन्हें पानी लोहा-लोहा नहीं लगता।
Editor – Niraj Jaiswal
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