भगवान किसी को मारते नहीं, बल्कि तारते हैं : अतुल कृष्ण 

मेहर वाटिका में कथा सुनने पहुंच रहे भक्तजन



कोरबा। ठण्डु राम परिवार (कादमा वाले) के द्वारा मेहर वाटिका में आयोजित हो रही भागवत कथा का श्रवण करने प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भागवत प्रेमी पहुंच रहे हैं। कथा के पांचवे दिन सोमवार को व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने भगवान की बाल लीला, गिरिराज पूजन का संगीतमय प्रसंग सुनाया।


आचार्य श्री भारद्वाज ने वेदों की प्रेरणा एवं ऐतिहासिक प्रसंगों पर प्रकाश डाला। राक्षसी पूतना पर कहा कि आज भी समाज में हजारों पूतना जीवित हैं। कथा व्यास ने कहा कि भगवान किसी को मारते नहीं बल्कि तारते हैं। पहले तीनों अवतारों में महिला रूपी राक्षसों का ही नाश किया। इसका अर्थ यह नहीं है कि भगवान किसी को मारते हैं बल्कि वे अविद्या रूपी राक्षसों का नाश कर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। यदि यह अविद्या घर-परिवार में आ जाए, तो घर में कलह एवं अशांति रहती है अर्थात पूतना रूपी राक्षसी अखबार, मोबाईल, टीबी इत्यादि के माध्यम से प्रत्येक घर व परिवार में पहुँच चुकी है और परिवार को तोडऩे का कार्य कर रही है, जिसका प्रभाव पूरे जीवन और समाज पर पड़ रहा है।

आज आवश्यकता है कि पूतना रूपी वृत्ति से सावधान रहा जाए। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजन में रामचन्द्र रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण रामानंद अग्रवाल, कांशीराम रामावतार अग्रवाल, प्यारेलाल रामनिवास अग्रवाल ने भागवत कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने नगरजनों से सपरिवार उपस्थिति का आग्रह किया है।


देखना-पढऩा-सुनना,सब ध्यान से करें
हमें ध्यान रखना है कि क्या देखना, पढऩा एवं सुनना चाहिए और किस तरीके से भोजन करना चाहिए। भोजन को छोड़ा जा सकता है क्योंकि वह शरीर के काम आता है परन्तु दृष्टि से देखा गया, कान से सुना गया और स्वयं से पढ़ा हुआ, यह सभी जीवन के आचरण में आकर समाज को सत्य एवं असत्य दिशा का मार्गदर्शन करता है।

कथा व्यास ने वासुदेव व नंदबाबा के मिलन के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि सच्ची मित्रता वही है जो मित्र के कष्टों को सुनकर उसे अपना कष्ट मानकर दूर करने का प्रयत्न करे। व्यक्तिगत कष्टों को मित्र के सामने कभी भी चर्चा नहीं करना चाहिए।