बिलासपुर। चार हाथियों को दल प्रतिदिन 10 से 15 किमी तक पैट्रोलिंग के बाद दल सिहावल सागर स्थित कैंप में आराम फरमाते हैं। राजू हाथी तो इतना उपयोगी हो गया कि प्रदेश के अलग-अलग वनमंडल में पहुंचकर टाइगर मानिटरिंग या फिर आबादी क्षेत्र में पहुंचे हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने में सहयोग देता है। कैंप में इन्हें काफी जतन से रखा गया है। इनके लिए आहार से लेकर स्नान व अन्य सुविधाएं हैं।
अचानकमार टाइगर रिजर्व पहले केवल सेंचुरी हुआ करता था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद प्रबंधन यहां की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के सैर का दायरा भी 20 प्रतिशत सीमित कर दिया।
जगह-जगह पैट्रोलिंग कैंप बनाए गए। इसके अलावा बेरीकेड बनाया गया। इतना ही नहीं वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। इन तमाम इंतजाम के बीच हाथियों से भी सुरक्षा की कमान संभालने की योजना थी। इसे लागू करने के लिए वर्ष 2010 में अंबिकापुर वनमंडल के रमकोला परिक्षेत्र से लाली व सिविल बहादुर नाम के दो हाथियों को ट्रक से अचानकमार टाइगर रिजर्व तक लाया गया।
जंगल की सुरक्षा की कमान लाली, राजू व सावन संभालते रहें
सिविल बहादुर तो जिंदा नहीं है। उसके जाने के बाद लाली अकेली रह गई थी। बाद में राजनांदगांव वनमंडल से वर्ष 2013 में राजू नाम के हाथी को अचानकमार लाया गया। धीरे-धीरे इनका कुनबा बढ़ता चला गया। वर्तमान में यहां चार हाथी हैं। इनमें से एक का जन्म अचानकमार में ही हुआ है। जंगल की सुरक्षा की कमान अभी लाली, राजू व सावन संभालते हैं। इनके लिए अचानकमार रेंज के सिहावाल सागर में सुरक्षित रहवास बनाया गया है।
वहां बकायदा शेड भी बना है, ताकि धूप या बरसात में परेशानी न हो। कैंप में शिव मोहन राजवाड़े महावत और चार सहयोगी इन हाथियों की देखभाल करते हैं। महावत को साथ लेकर ही वन अमला हाथियों से ऐसी जगहों पर पैट्रोलिंग करता है, जहां पहुंचने में पहले दिक्कत होती थी। जब से हाथियों के जरिए पैट्रोलिंग की शुरुआत हुई है, शिकारी या लकड़ी तस्कर भीतर घुसने से घबराते हैं। विभाग इनकी पैट्रोलिंग से संतुष्ट है।
राजू, लाली व सावन प्रतिदिन चार घंटे करते हैं पैट्रोलिंग
समय- समय पर इनकी पैट्रोलिंग का रूट भी बदला जाता है, ताकि किसी भी क्षेत्रों में जंगल के दुश्मन प्रवेश करना तो दूर घुसने की सोच भी न सकें। टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार राजू, लाली व सावन प्रतिदिन अचानकमार रेंज में चार घंटे पैट्रोलिंग करते हैं। इनके पैट्रोलिंग पर रवाना होने का समय सुबह आठ बजे तय है और लौटते भी दोपहर 12 बजे ही है।
इन क्षेत्रों में करते हैं पैट्रोलिंग
हाथियों से जिन क्षेत्रों में पैट्रोलिंग कराई जाती है, उनमें कटंगी, भैसाघाट, सिहावल, औरापानी, सारसडोल. बांधा, टिंगीपुर व बफर जोन की सीमा से लगे अन्य क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में अनजान व्यक्ति घुसने की हिम्मत नहीं कर पाता है।
राजू व लाली की संतान सावन हाथी सबसे गुस्सैल है। वह जंगल के अंदर किसी अंजान व्यक्ति को देख लेता है तो वह दौडाने लगता है। इससे ग्रामीण भी घबराते हैं। हालांकि पैट्रोलिंग के दौरान वह महावत के नियंत्रण में रहता है। इसलिए अब तक किसी ग्रामीणों को नुकसान नहीं हुआ है।
यह जानना भी है जरूरी
कानन पेंडारी जू के वन्य प्राणी चिकित्सक डा. पीके चंदन पर है स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी।
आहार चिकित्सक की गाइड लाइन के अनुसार दिया जाता है।
कैंप में प्रोफाइल शेड बना हुआ है।
Editor – Niraj Jaiswal
Mobile – 9754876042
Email – urjadhaninewskorba@gmail.com
Address – Press Complex, T.P. Nagar, Korba C.G. 495677