छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) ने अपनी परीक्षाओं में पारदर्शिता और सख्ती लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। पीएससी की परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए आयोग ने केंद्रीय कानून को अपनाने का निर्णय किया है। संबंधित अध्यादेश जारी करने के लिए पीएससी ने राज्य सरकार को पत्र भेजा है। राज्य सरकार की सहमति के बाद इस केंद्रीय कानून के लागू होने पर परीक्षा पेपर लीक करने में दोषी पाए गए आरोपित को 10 साल की सजा और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
बता दें कि देश में पेपर लीक मामले को लेकर पांच फरवरी 2024 को केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पेपर लीक विधेयक पेश किया था। इसमें कुछ इसी तरह सजा और जुर्माना का प्रविधान किया गया है। यह कानून लागू हुआ तो दूसरे की जगह परीक्षा देने का दोषी पाए जाने वाले अपराधी को तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकेगा। वहीं अगर कोई संस्थान पेपर लीक और नकल के मामले में दोषी पाया जाता है तो उससे परीक्षा का पूरा खर्च वसूला जा सकता है। साथ ही उसकी सारी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है।
कार्यशाला में नए कानून के संबंध में बनी सहमति
शुक्रवार को लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अधिनियम, 2024 (द पब्लिक एक्जामिनेशन, प्रीवेंशन आफ अनफेयर मींस एक्ट 24) पर कार्यशाला आयोजित की । कार्यशाला में संसद से पारित नए कानून के प्रविधानों के संदर्भ में आयोग के पैनल अधिवक्ता डा. सुदीप अग्रवाल, नए कानून के संबंध में व्याख्यान दिया गया।
विदित हो कि केंद्र ने नया कानून 21 जून 2024 से लागू किया है, जिसके तारतम्य में उत्तरप्रदेश, बिहार में इस कानून को राज्य की परीक्षाओं में लागू करने का अध्यादेश पारित किया जा चुका है। अब छत्तीसगढ़ राज्य में भी इस कानून को लागू करने के लिए तैयारी चल रही है। लागू होते ही नियम कड़े हो जाएंगे।
कार्यशाला में आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण वर्मा, सदस्य डा. सरिता उईके, सदस्य संतकुमार नेताम एवं आयोग के सचिव पुष्पेन्द्र कुमार मीणा, विधिक सलाहकार सुधीर कुमार, परीक्षा नियंत्रक लीना कोसम एवं विधि अधिकारी अपूर्व श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।
पीएससी की गड़बड़ी की सीबीआई कर रही जांच
छत्तीसगढ़ में भी वर्ष 2008, वर्ष 2019 में सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा और सीजीपीएससी 2021 की लोक सेवा भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी, भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद पीएससी की देशव्यापी बदनामी हुई है। मामले में सीबीआई के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और सचिव जीवन किशोर ध्रुव समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच कर रही है।
पूर्ववर्ती भूपेश सरकार में हुई इन गड़बड़ियों को लेकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा मुद्दा बनाया था। पीएससी का घेराव तक किया गया था। इसके बाद भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र मोदी की गारंटी में पीएससी की परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने का फैसला लिया था।
Editor – Niraj Jaiswal
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