बिजली विहीन सिंचित रोपणी में कराए गए 21 बोर, 8 बोर का मोटर चोरी

मामला पसान रेंज के पिपरिया जंगल का 

कोरबा । कोरबा जिले में कटघोरा वन मंडल में कैम्पा मद में हुए भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। 3 वर्ष पूर्व सिंचित रोपणी के तहत 265 हेक्टेयर क्षेत्रफल में एक लाख से अधिक पौधों का रोपण हुआ लेकिन इनकी सिंचाई के लिए यहां खनन कराये गए बोर शो-पीस बनकर रह गये व चोरों को शिकार हो गए। योजना की राशि में बंदरबांट संभावित है, जिसकी सूक्ष्म जांच हो तो यह भी खुलासा होगा कि बिजलीविहीन क्षेत्र में आखिर 21 बोर का औचित्य क्या रहा?


कटघोरा वन मंडल के पसान वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया में सिंचित रोपणी के नाम पर 265 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधारोपण तो हुआ है लेकिन विभागीय जांच में पता चला कि 135 हेक्टेयर क्षेत्रफल भूमि तो यहां है ही नहीं तो फिर इसके पौधे कहां गए? यह सवाल अभी चर्चा में बना हुआ है कि इसी क्षेत्र में बोर खनन के नाम पर बड़ा गड़बड़झाला भी सामने आया है। दरअसल, वर्ष 2021 में दो पार्ट 150 व 115 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपे गए पौधों की सिंचाई के लिए पार्ट-1 में 12 व पार्ट-2 में 9 नग बोर का खनन वन विभाग द्वारा कराया गया। 21 नग बोर का खनन कराने के साथ ही मोटर भी लगवा दिए गए लेकिन इसे चलाने के लिए बिजली नहीं थी।


इस इलाके से 11000 केव्ही विद्युत सप्लाई तो है लेकिन सिंचित रोपणी एरिया पिपरिया के आसपास ना तो कोई ट्रांसफार्मर है और ना ही कोई विद्युत कनेक्शन। पौधों को सींचने के लिए वर्ष-2022 में खनन कराए गए 21 नग बोर की टेस्टिंग भी जरूरी थी, लिहाजा तत्कालीन स्टाफ ने पसान से किराए पर जनरेटर मंगवाया। तीन से चार दिन तक जनरेटर के जरिए सभी बोर की टेस्टिंग करीब 15-15 मिनट तक बोर चला कर की जाती रही। इसके बाद जनरेटर भी खराब हो गया तो उसे वापस लौटा दिया गया। तब से लेकर आज तक बोर चले नहीं, मोटर में करंट दौड़ा नहीं और इस अवधि में 8 नग मोटर भी चोरी चले गए। इस पूरे कार्य में नियोजित रहे ग्रामीण ने बताया कि जब बोर चला ही नहीं तो रोपणी के पौधों को पानी कहां से मिलेगा, और धीरे-धीरे पौधे मरते चले गए। बताया गया कि अभी 27-28000 पौधों का रोपण अगस्त-सितंबर 2023 में किया गया लेकिन इन पौधों को भी पानी नसीब नहीं हुआ है। वर्ष 2022 में कराए गए 21 नग में से 8 बोर के मोटर चोरी भी हो गए। 13 नग मोटर सुरक्षित बचा लिए गए हैं।

इन्होंने बताया सब कुछ ओके था

इस मामले में तत्कालीन रेंजर धर्मेंद्र चौहान, जिनके कार्यकाल में यह सारे कार्य हुए थे, उनके मुताबिक सारे पौधे जीवित थे और खुदवाए गए सभी बोर चालू हालत में थे और इससे पौधों की सिंचाई भी हो रही थी। इनका कहना है कि पौधों की रोपणी के लिए जमीन भी मिसिंग नहीं है, जिओ टैगिंग के जरिए सत्यापन बाद सारा काम सेंक्शन हुआ और कोई भी बोर उस समय तक बंद नहीं था। हालांकि डेढ़ साल पहले इनका तबादला कोरबा कर दिया गया है और वर्तमान में नारंगी क्षेत्र में कार्य संभाल रहे हैं। डेढ़ साल पहले इन्होंने रेंजर रामनिवास दहायत को कार्यभार सौंपने के साथ-साथ रोपणी से संबंधित सभी दस्तावेज भी हैंडओवर कर दिए। अब अगर धर्मेंद्र चौहान की मानें तो सारे बोर चल रहे थे, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि बिना बिजली कनेक्शन के यह सब कैसे संभव होता रहा?

चौकीदारों को 7 महीने से नहीं मिली मजदूरी

सिंचित रोपणी पिपरिया में बतौर चौकीदार 2021 से कार्यरत ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें दिसंबर 2023 से अब तक 7 महीने का वेतन नहीं मिला है। वेतन के अभाव में उनका और परिवार का गुजर-बसर मुश्किल हो गया है। इस बारे में जब रेंजर से चौकीदार रामप्रसाद व अन्य लोगों ने बात किया तो उसने फंड नहीं होने की बात कही। प्रतिमाह 5 हजार रुपए के वेतन पर काम करने वाले 5 चौकीदारों ने बताया कि जब द्विवेदी बीटगार्ड थे तो हर महीने एडजस्ट करके पैसा दे दिया करते थे, उनका तबादला होने के बाद दिसंबर से वेतन नहीं मिला है। चौकीदारों ने रोपणी की देखरेख का काम छोड़ दिया है।