बाहरी लोगों को काम, स्थानीय की उपेक्षा से नाराज लोगों ने 7 घंटे खदान बंद कराया

एचपीसी दर से भुगतान से बचने निजी कंपनियां उपेक्षित कर रहीं

कोरबा-कुसमुंडा। एसईसीएल की कुसमुंडा खदान के विस्तार के लिए अधिग्रहित ग्राम जटराज, पाली, पड़निया, सोनपुरी, रिस्दी, गेवरा, खैरभवना आदि के सैकड़ों ग्रामीणों ने आज सतर्कता चौक पर प्रदर्शन करते हुए लगभग 7 घंटे तक कामकाज को ठप्प कराया। पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजय जायसवाल इनके समर्थन में आंदोलन में शामिल हुए और मौके पर पहुंचे प्रबंधन के अधिकारियों के समक्ष ग्रामीणों की बात प्रमुखता से रखी। कल प्रबंधन के साथ बैठक रखे जाने की सूचना इन्हें दी गई है।


उक्त गांवों का अर्जन वर्ष-2009 से 2014 के मध्य किया जा चुका है। खदान नजदीक होने के कारण पेयजल, हैवी ब्लास्टिंग, कोलडस्ट व अन्य समस्याओं से क्षेत्रवासी जूझ रहे हैं। रोजगार की समस्या पिछले 15 वर्षों से बनी हुई है। जमीन अर्जन कर लेने के कारण किसान खेती नहीं कर पा रहे और बच्चों की शिक्षा, विवाह आदि के लिए जमीन की खरीदी-बिक्री भी नहीं कर पा रहे हैं। तमाम तरह की विसंगतियों से जूझते हुए ग्रामीण कहीं न कहीं एसईसीएल प्रबंधन और कार्यरत ठेका कंपनियों के द्वारा उत्पन्न किए जा रहे मनभेद से भी जूझ रहे हैं। कुसमुंडा में नियोजित जय अम्बे, एमपीटी, केडी ट्रांसपोर्ट, नीलकंठ जैसी कंपनियों में भू-विस्थापितों को एचपीसी दर से भुगतान करना पड़ता है, इस कारण से रोजगार प्रदान नहीं किया जा रहा है। दीगर जिला व प्रान्त से मजदूर लाकर कम दर पर काम कराया जा रहा है व स्थानीय लोगों को रोजगार में उपेक्षित कर रहे हैं। इस मामले में 24 मई व 27 मई को जीएम कार्यालय में प्रबंधन के साथ ग्रामीणों की बैठक हुई थी, जिसमें ठोस समाधान न होने पर खदान बंद आंदोलन की चेतावनी दी गई थी। इसके तहत आज भू-विस्थापितों ने सुबह से खदान क्षेत्र में पहुंचकर आंदोलन किया। अंतत: कुछ विषयों पर सहमति बनी व अजय जायसवाल की पहल से 24 लोगों को रोजगार पर बात बनी है।


प्रत्येक खातेदार को भरण-पोषण के लिए 30 हजार दें
पेयजल समस्या का समाधान, वर्ष-2009-10 में लगाए गए स्टे को हटाने अथवा छोटे-बड़े खातेदार किसानों को भरण-पोषण हेतु 30 हजार रुपए प्रदान करने, सभी तरह के ठेका कार्यों में 100 प्रतिशत भू-विस्थापितों को रोजगार प्रदान करने, खदान प्रभावित ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा हेतु एम्बुलेंस, भू-विस्थापितों के बच्चों को डीएव्ही एवं केन्द्रीय विद्यालय कुसमुंडा में प्राथमिकता एवं शहर में पढऩे वाले बच्चों को बस की सुविधा प्रदान करने, ठेका कंपनियों में हो रहे भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कर मजदूरों को सभी सामाजिक सुविधा प्रदान करने, कोल ट्रांसपोर्टिंग का काम शत-प्रतिशत भू-विस्थापितों को प्रदान करने, नियोजित सभी कंपनियों के कोल ट्रांसपोर्टिंग व ओबी का 20 प्रतिशत कार्य भू-विस्थापितों के लिए आरक्षित करने, सर्वमंगला-कनबेरी व 4 नंबर बेरियर में वाहनों की गति सीमा निर्धारित करने व स्पीड ब्रेकर लगाने, नियमित सफाई, सडक़ पर रौशनी, सीएसआर से महिला समितियों को स्वरोजगार, खदान प्रभावित सभी शासकीय स्कूलों में अच्छी शिक्षा व प्रशिक्षण की व्यवस्था, भू-विस्थापित गरीब प्रतिभावान बच्चों को माईनिंग व उच्च शिक्षा सीएसआर मद से प्रदान करने, कोल इंडिया की अन्य कंपनियों की तरह एसईसीएल क्षेत्रों के भू-विस्थापितों को लाभ प्रदान करने की मांग शामिल हैं।