कोरबा जिले में ईस्ट वेस्ट रेल कॉरिडोर निर्माण और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) में भूविस्थापितों के लगातार प्रदर्शनों ने पुलिस थानों पर भारी दबाव डाल दिया है। कुसमुंडा, दीपका, और गेवरा कोयला खदानों में आए दिन होने वाले आंदोलनों के लिए पुलिस बल को तैनात करना पड़ रहा है, जिससे लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने में चुनौतियां बढ़ गई हैं।
रक्षाबंधन के त्योहारी सीजन में जिला मुख्यालय कोरबा, उपनगरीय क्षेत्रों और कस्बों में बाजारों में खरीदारी की रौनक है। राखी, कपड़े, मिठाई, और ज्वेलरी की दुकानों पर सुबह से रात तक भीड़ बनी हुई है। इस दौरान झपटमारी और लूटपाट जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कोरबा कोतवाली, सिविल लाइन, कटघोरा, बालको नगर, कुसमुंडा, दीपका, बांकी मोंगरा, और पाली थानों के पुलिसकर्मियों को भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
इसके साथ ही, आगामी स्वतंत्रता दिवस की परेड के लिए प्रत्येक थाने से पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जा रहा है। रेल कॉरिडोर निर्माण और खदानों में प्रदर्शनों के लिए रिजर्व बल की आवश्यकता ने पुलिस थानों में कर्मियों की कमी को और उजागर कर दिया है। स्थिति ऐसी है कि कई थाने दबाव में हैं, और विभिन्न कार्यों के संपादन में समस्याएं आ रही हैं।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस के सामने यह चुनौती है कि सीमित बल के साथ त्योहारी सीजन, प्रदर्शनों, और स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों का प्रबंधन कैसे किया जाए। इस परिपेक्ष्य में कोरबा जिले के पुलिस थानों में बल की उपलब्धता बढ़ाने की मांग तेज हो रही है, ताकि कानून-व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
Editor – Niraj Jaiswal
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