कोरबा की संजू यादव: छोटे से गांव से कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय सनसनी तक का सफर

कोरबा जिले के छोटे से गांव केराकछार तिवरता की संजू यादव ने अपनी मेहनत और लगन से कबड्डी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। संजू छत्तीसगढ़ की पहली महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय टीम में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। उनकी प्रेरणादायक कहानी संघर्ष, समर्पण और सफलता का अनूठा उदाहरण है।

संजू के पिता रामजी यादव और मां अमरिका यादव किसान हैं। लगभग छह-सात साल पहले, विद्यार्थी जीवन के दौरान संजू ने कबड्डी खेलना शुरू किया। गांव तिवरता में आयोजित एक स्थानीय कबड्डी स्पर्धा में उनके शानदार दांव-पेच ने जिला कबड्डी पदाधिकारियों का ध्यान खींचा।

स्थानीय कोच की सलाह पर संजू को राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिला, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसके बाद संजू ने छत्तीसगढ़ में कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

वर्तमान में संजू हरियाणा के सोनीपत में कबड्डी वर्ल्ड कप के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं, जहां 24 अन्य खिलाड़ियों के साथ उनकी कड़ी मेहनत जारी है। इस साल हैदराबाद में होने वाले कबड्डी वर्ल्ड कप के लिए 14 खिलाड़ियों का चयन होना है, और संजू इस रेस में मजबूती से डटी हुई हैं।

संजू का सफर आसान नहीं रहा। आर्थिक तंगी, चोटों और परिवार के पढ़ाई के दबाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

उनकी लगन और धैर्य ने उन्हें हर बाधा को पार करने की ताकत दी। इस साल मार्च में ईरान में आयोजित एशियन महिला कबड्डी चैंपियनशिप में संजू ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।

संजू का कहना है, “यदि आप अपने लक्ष्य पर फोकस रखकर मेहनत करते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है। समय का सही प्रबंधन मेरे लिए सबसे बड़ा सबक रहा, जो मैंने अपने परिवार से सीखा।”

उनके दांव-पेच इतने प्रभावशाली हैं कि दर्शक उनकी खेल शैली को देखकर दंग रह जाते हैं। आज संजू न केवल अपने गांव बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।