कोरबा-कटघोरा वन मंडल में आर्थिक घोटाले का खुलासा: एसडीओ संजय त्रिपाठी और रेंजर रामनिवास दहायत पर फर्जी भुगतान और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

कोरबा।कटघोरा वन मंडल में एक सनसनीखेज आर्थिक घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें वन मंडल के सब-डिवीजनल ऑफिसर (एसडीओ) संजय त्रिपाठी और रेंजर रामनिवास दहायत पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने मिलकर फर्जी भुगतान, बोगस बिलों और कमीशन की मांग के जरिए शासन को लाखों रुपये की चपत लगाई है।

एक ताजा मामले में एक व्यावसायिक फर्म के खाते में बिना किसी कार्य या सप्लाई के 81,758 रुपये ट्रांसफर किए गए, और बाद में आधी राशि वापस मांगने के लिए फर्म संचालक पर दबाव डाला गया।

फर्जी भुगतान और कमीशन का खेल

सत्यसंवाद को मिली जानकारी के अनुसार, कटघोरा वन मंडल में कई रेंजों में ठेकेदारों, सप्लायर्स और मजदूरों को भुगतान के लिए परेशान किया जा रहा है। सही कार्यों के भुगतान के लिए भी कमीशन की मांग की जा रही है। इसके अलावा, आधे-अधूरे कार्यों, बिना शुरू हुए प्रोजेक्ट्स और धरातल पर न के बराबर मौजूद कार्यों के नाम पर भी राशि निकाली जा रही है। सबसे चौंकाने वाला मामला मई 2025 में सामने आया, जिसमें एक व्यावसायिक फर्म के खाते में डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर के खाते से 81,758 रुपये अनाधिकृत रूप से ट्रांसफर किए गए। इस फर्म ने न तो कोई कार्य किया, न कोई सप्लाई की, और न ही कोई बिल प्रस्तुत किया।

फर्म संचालक पर दबाव और बर्खास्तगी की मांग

आरोप है कि रेंजर रामनिवास दहायत और एसडीओ संजय त्रिपाठी के लोग फर्म संचालक के घर जाकर इस राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा वापस करने का दबाव डाल रहे हैं। परेशान फर्म संचालक ने इस राशि को शासन के खाते में जमा करने की इच्छा जताई है और साथ ही वन मंडलाधिकारी को आवेदन देकर दोनों अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। फर्म संचालक ने मांग की है कि भ्रष्टाचार में लिप्त इन अधिकारियों को तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाए, ताकि भविष्य में शासन को और नुकसान न हो।

भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें

कटघोरा वन मंडल में यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी बस्तर और सरगुजा वन मंडलों में तेंदूपत्ता बोनस और गोदाम निर्माण जैसे कार्यों में करोड़ों रुपये के घोटाले उजागर हो चुके हैं। इन मामलों में फर्जी बिल, वाउचर और अनियमित भुगतान के जरिए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया था। कटघोरा में भी इसी तरह की कार्यप्रणाली सामने आई है, जहां बिना कार्य के भुगतान और कमीशन की मांग का सिलसिला चल रहा है।

प्रशासन से कार्रवाई की मांग

फर्म संचालक और स्थानीय लोगों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर देगा। वन मंडल में व्याप्त इस भ्रष्टाचार ने ठेकेदारों, सप्लायर्स और मजदूरों के बीच भी आक्रोश पैदा किया है, जो अपने मेहनताने के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।

क्या कहता है प्रशासन?

अब तक इस मामले में वन मंडल या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, इस तरह के गंभीर आरोपों के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) जैसी एजेंसियों से जांच की उम्मीद की जा रही है। इससे पहले सुकमा में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में EOW और ACB ने 11 अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।

यह मामला कटघोरा वन मंडल में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। स्थानीय लोग और प्रभावित पक्ष अब इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस सनसनीखेज घोटाले पर क्या कदम उठाता है और क्या संजय त्रिपाठी और रामनिवास दहायत के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी।