कोरबा।छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों के पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चरिंग) की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। वर्षों से लंबित इस मांग के कारण लगभग 9,000 कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी हुई है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान और मनोबल में कमी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी संगठनों ने प्रबंधन से इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
कर्मचारियों में निराशा
बिजली कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वर्ष 2018 में कंपनी में अधिकारियों के पदों का पुनर्गठन किया गया था, जिससे कर्मचारियों को भी जल्द ही उनके पदों के रिस्ट्रक्चरिंग की उम्मीद थी। लेकिन सात साल बाद भी यह मांग अधूरी है। कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से एक ही पद और वेतनमान पर काम करने के कारण उनकी कार्य क्षमता और उत्साह पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
प्रबंधन की ओर से कमेटी गठन
बिजली कर्मचारी संघ ने बताया कि कर्मचारियों की मांग को देखते हुए हाल ही में प्रबंधन ने पदों के पुनर्गठन के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी ने कर्मचारी संगठनों से सलाह मांगी है, जिसे एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। हालांकि, कर्मचारी संगठन इस प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की मांग कर रहे हैं ताकि पात्र कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ मिल सके।
आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
लंबे समय तक पदोन्नति न मिलने के कारण कर्मचारी आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक दबाव का भी सामना कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि बार-बार मांग उठाने के बावजूद केवल आश्वासन मिले हैं। एक ही पद और वेतनमान पर काम करने से कर्मचारियों का उत्साह कम हो रहा है, जो कंपनी की कार्यकुशलता को भी प्रभावित कर सकता है।
कर्मचारियों की मांग
कर्मचारी संगठनों ने प्रबंधन से अपील की है कि पुनर्गठन की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए और कर्मचारियों के हित में ठोस कदम उठाए जाएं। संगठन ने यह भी मांग की है कि पुनर्गठन के बाद पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए। इस मुद्दे पर कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर हो सकते हैं।
Editor – Niraj Jaiswal
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