गेवरा कोयला खदान में सीआईएसएफ और एसईसीएल ने किया मेगा मॉक ड्रिल, भूस्खलन बचाव पर विशेष अभ्यास

कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा कोयला खदान के व्यू प्वाइंट पर सीआईएसएफ ने एसईसीएल प्रबंधन और विभिन्न रेस्क्यू एजेंसियों के साथ मिलकर एक मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इस अभ्यास में भूस्खलन जैसी आपदा के दौरान बचाव कार्यों की तैयारियों को परखा गया।

भूस्खलन थीम पर आधारित अभ्यास

मॉक ड्रिल की थीम गेवरा खदान के व्यू प्वाइंट पर भूस्खलन के दौरान पांच कर्मचारियों के घायल होने की स्थिति पर आधारित थी। इस अभ्यास में यह सुनिश्चित किया गया कि आपदा के दौरान त्वरित और प्रभावी सहायता कैसे प्रदान की जाए। इसमें पहले रेस्क्यू टीम के पहुंचने, घायलों को सुरक्षित निकालने, चिकित्सा सुविधा प्रदान करने और खदान में सायरन व एम्बुलेंस व्यवस्था की जांच की गई।

विभिन्न एजेंसियों की भागीदारी

इस तीन घंटे तक चले अभ्यास में सीआईएसएफ के साथ-साथ एसईसीएल रेस्क्यू टीम, फायर विंग, एसडीआरएफ, आपदा मित्र, जिला कोरबा फायर विंग, दीपका थाना बल, एनसीसी कैडेट्स, एनटीपीसी कोरबा फायर विंग और एनसीएच हॉस्पिटल ने हिस्सा लिया। सभी एजेंसियों ने समन्वित रूप से बचाव कार्यों का प्रदर्शन किया।

वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी

इस आयोजन में सीआईएसएफ के वरिष्ठ कमांडेंट नागेंद्र कुमार झा, गेवरा के महाप्रबंधक अरुण कुमार त्यागी, एसईसीएल रेस्क्यू के महाप्रबंधक मनोज विश्नोई, परियोजना महाप्रबंधक आर.बी. सिंधूर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। अरुण कुमार त्यागी ने इस सफल आयोजन के लिए सभी एजेंसियों की सराहना की और मॉक ड्रिल से होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से बताया।

आपदा प्रबंधन में महत्व

यह मॉक ड्रिल खदान में भूस्खलन या मलबे में दबने जैसी घटनाओं से निपटने की तैयारियों को मजबूत करने के लिए आयोजित किया गया। इससे आपदा के समय त्वरित कार्रवाई, समन्वय और संसाधनों के उपयोग की क्षमता को परखा गया। यह अभ्यास कोरबा की गेवरा खदान, जो एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानों में से एक है, में सुरक्षा मानकों को और सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।