हत्या मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नाबालिग को 10 साल की सजा रद्द, तत्काल रिहाई का आदेश

कोरबा। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, जस्टिस संजय अग्रवाल ने कटघोरा के चिल्ड्रन कोर्ट के एक फैसले को दोषपूर्ण करार देते हुए रद्द कर दिया और नाबालिग आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। चिल्ड्रन कोर्ट ने 2020 के एक हत्या मामले में 16 वर्षीय किशोर को वयस्क की तरह मुकदमा चलाते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस (JJ) एक्ट के खिलाफ माना।

कोरबा जिले के कटघोरा में 22 अगस्त 2020 को एक युवक की हत्या के मामले में पुलिस ने 16 वर्षीय किशोर (जन्म तारीख: 15 जुलाई 2004) को गिरफ्तार किया था। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने प्रारंभिक जांच के बाद मामले को चिल्ड्रन कोर्ट में भेज दिया। 30 दिसंबर 2022 को चिल्ड्रन कोर्ट ने किशोर को 10 साल की कैद और 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ किशोर ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि जांच प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और जेजे एक्ट की धारा 19(1) व नियम 13 के तहत आवश्यक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन व सामाजिक स्थिति की जांच नहीं की गई। किशोर या उसके वकील को जांच रिपोर्ट भी नहीं दी गई। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ‘अजीत गुर्जर’ और ‘वरुण ठाकुर’ मामलों का हवाला देते हुए कहा कि नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने से पहले विस्तृत मूल्यांकन और सबूतों पर आधारित निर्णय जरूरी है, जो इस मामले में नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि अब आरोपी की उम्र 21 वर्ष हो चुकी है, इसलिए घटना के समय की मानसिक स्थिति का पुनर्मूल्यांकन संभव नहीं है। जस्टिस संजय अग्रवाल ने चिल्ड्रन कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आदेश दिया कि इस फैसले की प्रति राज्य के सभी जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और चिल्ड्रन कोर्ट को भेजी जाए, ताकि भविष्य में ऐसी गंभीर चूक न हो।

हाईकोर्ट के इस फैसले ने न केवल किशोर को न्याय दिलाया, बल्कि जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। कोर्ट ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि नाबालिगों के साथ मुकदमों में जेजे एक्ट का पालन सुनिश्चित किया जाए।