नीट यूजी 2025: छत्तीसगढ़ में मेडिकल दाखिले की जंग तेज, सरकारी कॉलेजों में कटऑफ 600 तक पहुंचने की संभावना

रायपुर।नीट यूजी 2025 के नतीजों के बाद छत्तीसगढ़ में मेडिकल, डेंटल और आयुर्वेद कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीमित सीटों के कारण इस बार कटऑफ में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएम), रायपुर में एमबीबीएस दाखिले के लिए कटऑफ 600 अंक तक जा सकता है, जबकि शासकीय दंत चिकित्सालय (जीडीसी) में 420 अंक तक रहने की संभावना है।

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें और कटऑफ

छत्तीसगढ़ में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल 1555 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं। इनमें 85% सीटें राज्य कोटा और 15% ऑल इंडिया कोटा (एआइक्यू) के तहत भरी जाएंगी। प्रमुख कॉलेजों की स्थिति इस प्रकार है:

पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर: 250 सीटें, पिछले साल कटऑफ 595 अंक।

सिम्स, बिलासपुर: 150 सीटें, क्लोजिंग रैंक 29,500।

अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज, राजनांदगांव: 125 सीटें, कटऑफ 38,000 रैंक।

जगदलपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, दुर्ग, भिलाई, कोरबा, कांकेर, महासमुंद: प्रत्येक में 100-125 सीटें।

निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला

राज्य के पांच निजी मेडिकल कॉलेजों (श्री बालाजी इंस्टीट्यूट, रिम्स, रावतपुरा सरकार, श्रीशंकराचार्य, और अभिषेक मिश्रा मेडिकल कॉलेज) में करीब 700 एमबीबीएस सीटें हैं। इनमें पिछले साल कटऑफ 1.65 लाख से 7 लाख रैंक तक गया था। निजी कॉलेजों की फीस 6 से 10 लाख रुपये सालाना है।

डेंटल कॉलेजों की स्थिति

शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर में बीडीएस की 100 सीटें हैं, जहां पिछले साल कटऑफ 412 अंक था। निजी डेंटल कॉलेजों (मैत्री, त्रिवेणी, रुंगटा, और छत्तीसगढ़ डेंटल कॉलेज) में कुल 500 सीटें हैं, जिनका कटऑफ 6 से 7 लाख रैंक तक रहा।

आयुर्वेद और फिजियोथेरेपी के विकल्प

जिन छात्रों की रैंक एमबीबीएस या बीडीएस के लिए पर्याप्त नहीं है, उनके लिए आयुर्वेद (400 सीटें) और फिजियोथेरेपी (200+ सीटें) बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

काउंसलिंग में देरी

डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ने काउंसलिंग की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन फाइनल मेरिट लिस्ट जारी न होने से प्रक्रिया में देरी हो रही है। इस बार 50,000 रैंक के भीतर आने वाले छात्रों को सरकारी सीट मिलने की संभावना है।

कटऑफ निर्धारण के कारक

कटऑफ नीट यूजी के अंकों, उम्मीदवारों की संख्या, परीक्षा की कठिनाई, कॉलेज की लोकप्रियता, सीटों की उपलब्धता और आरक्षण नीति पर निर्भर करता है। इस बार छत्तीसगढ़ के छात्रों के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद सीटों की सीमित संख्या के कारण मुकाबला और कड़ा हो गया है।