कोयला खदानों में हड़ताल का असर, CMPDI निजीकरण और श्रम कानून बदलाव के खिलाफ श्रमिकों का विरोध

कोरबा जिले की कोयला खदानों में अखिल भारतीय आम हड़ताल का व्यापक असर देखा जा रहा है। श्रमिक संगठनों ने सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI) के निजीकरण, कोल इंडिया के आईपीओ प्रस्ताव, और श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है। इस हड़ताल के कारण खदानों में उत्पादन ठप होने की स्थिति बन गई है।

खदानों के बाहर श्रमिकों का प्रदर्शन

कोरबा की प्रमुख खदानों के प्रवेश द्वार पर श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी अपनी टीमों के साथ डटे हुए हैं। नारेबाजी के बीच वे अन्य मजदूरों से “मजदूर और राष्ट्रहित” में हड़ताल का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं। एक श्रमिक नेता ने कहा, “हम किसी को जबरन नहीं रोक रहे, लेकिन समझा रहे हैं कि यह लड़ाई हम सबकी है।” खदानों में सुबह की पहली पाली से ही कामगारों की कम उपस्थिति और उत्पादन में कमी के संकेत मिले हैं। यदि यह स्थिति जारी रही, तो कोयला उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है।

हड़ताल के प्रमुख कारण

श्रमिक संगठनों ने हड़ताल के लिए कई मुद्दों को आधार बनाया है:

CMPDI का निजीकरण: कोल इंडिया द्वारा अपनी सहायक कंपनी CMPDI में 10% हिस्सेदारी बेचने के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

कोल इंडिया में आईपीओ: CMPDI और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के लिए आईपीओ की तैयारियां, जिसे श्रमिक नौकरियों और अधिकारों के लिए खतरा मान रहे हैं।

श्रम कानूनों में बदलाव: नए श्रम कानूनों को श्रमिक विरोधी बताते हुए संगठन इनके खिलाफ एकजुट हैं।

ठेका प्रथा का विस्तार: ठेका मजदूरी की बढ़ती प्रथा से श्रमिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।

संगठनों का समर्थन, BMS की दूरी

हड़ताल को चार प्रमुख राष्ट्रीय श्रमिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने औपचारिक रूप से हड़ताल से दूरी बनाई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि BMS ने इसे मौन समर्थन दिया है। यह हड़ताल कोरबा की खदानों में श्रमिकों की एकजुटता को दर्शाती है।

उत्पादन पर संकट

कोरबा, जो देश के कोयला उत्पादन का महत्वपूर्ण केंद्र है, में हड़ताल के कारण उत्पादन में कमी की आशंका है। सुबह की पाली में खदानों में सामान्य से कम गतिविधियां देखी गईं। यदि हड़ताल पूरे दिन जारी रही, तो कोयला आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है। कोल इंडिया की Q4 FY25 में पहले ही 1.7% उत्पादन कमी दर्ज की गई थी, और यह हड़ताल स्थिति को और जटिल कर सकती है।

प्रशासन और प्रबंधन की चुप्पी

हड़ताल के बीच जिला प्रशासन और कोल इंडिया प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। श्रमिक संगठन सरकार और प्रबंधन से वार्ता की मांग कर रहे हैं ताकि उनके मुद्दों का समाधान हो सके। कोरबा की यह हड़ताल न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कोयला उद्योग की नीतियों पर सवाल उठा रही है।