बिलासपुर हाइकोर्ट ने डीएसपी की पत्नी के नीली बत्ती कार स्टंट मामले में चीफ सेक्रेटरी से मांगा जवाब

वायरल वीडियो पर स्वतः संज्ञान, जनहित याचिका के तहत सुनवाई शुरू

बिलासपुर।  छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में डीएसपी तसलीम आरिफ की पत्नी फरहीन द्वारा नीली बत्ती लगी कार पर जन्मदिन मनाने और स्टंट करने के वायरल वीडियो मामले में सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के चीफ सेक्रेटरी से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

क्या है मामला?

लगभग एक माह पूर्व, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की 12वीं बटालियन में पदस्थ डीएसपी तसलीम आरिफ की पत्नी फरहीन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में फरहीन अंबिकापुर के सरगवां पैलेस होटल में नीली बत्ती लगी एसयूवी कार (क्रमांक सीजी 15 EF 3978) पर बैठकर जन्मदिन का केक काटते और सहेलियों के साथ स्टंट करते नजर आई थीं। कार की डिक्की, सन रूफ और गेट खोलकर लापरवाही से ड्राइविंग और स्टंट करने का यह वीडियो मीडिया में सुर्खियां बना था। यह कार डीएसपी तसलीम आरिफ की निजी संपत्ति बताई गई है।

पुलिस ने दर्ज किया था अपराध

वायरल वीडियो के आधार पर गांधीनगर पुलिस ने धारा 177 (मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघन), 184 (खतरनाक ड्राइविंग), और 281 (लापरवाही से वाहन चलाने) के तहत अपराध दर्ज किया था। हालांकि, पुलिस ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह कार्रवाई किसके खिलाफ की गई। इस अस्पष्टता ने मामले को और चर्चा में ला दिया।

हाइकोर्ट का सख्त रुख

बिलासपुर हाइकोर्ट ने वायरल वीडियो और मीडिया रिपोर्ट्स को जनहित याचिका मानते हुए इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार के चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिया है कि वे शपथ पत्र के माध्यम से बताएं कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कदम उठाए जाएं।

अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद

हाइकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद की तारीख तय की है। चीफ सेक्रेटरी द्वारा दाखिल शपथ पत्र के आधार पर कोर्ट आगे की कार्रवाई पर विचार करेगा। यह मामला न केवल सड़क सुरक्षा और नियमों के पालन के प्रति जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि सरकारी अधिकारियों से जुड़े व्यक्तियों द्वारा नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और प्रभावी है।