मनरेगा और रेशम विभाग के अभिसरण से ग्रामीण आजीविका में नई क्रांति, कोसा पालन से 546 किसानों को मिली अतिरिक्त आय

कोरबा।कोरबा जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और रेशम विभाग के अभिसरण ने ग्रामीण आजीविका को नई दिशा दी है। इस पहल के तहत अर्जुन और साजा वृक्षों की नर्सरी और पौधारोपण से न केवल 93,869 मानव दिवस सृजित हुए, बल्कि 546 किसान और महिला स्व-सहायता समूह के सदस्य कोसा पालन (रेशम कृमि पालन) के माध्यम से प्रति वर्ष औसतन 50,000 रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

मनरेगा और रेशम विभाग की साझेदारी

पिछले छह वर्षों में कोरबा जिले के सभी विकासखंडों में मनरेगा के तहत 30 स्थानों पर रेशम विभाग के सहयोग से अर्जुन और साजा के पौधों की नर्सरी और पौधारोपण किया गया। इस कार्य से 7,422 श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। रेशम विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन और फील्डमैन मंगल दास महंत के सहयोग से ग्रामीणों ने इन वृक्षों पर रेशम की इल्लियों का पालन शुरू किया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है।

कोसा पालन की वैज्ञानिक प्रक्रिया

फील्डमैन श्री मंगल दास महंत ने बताया कि कोसा पालन में कोसा फलों को 20 गुच्छों में बांधकर 48 घंटे में कपलिंग की प्रक्रिया पूरी की जाती है। माइक्रोस्कोप से अंडों की जांच के बाद बीमार अंडों को हटाया जाता है, और शेष अंडों को एसिड और फॉर्मेलिन घोल से साफ कर ट्रे में रखा जाता है। आठ दिनों में इल्लियां निकलती हैं, जिन्हें अर्जुन वृक्षों की पत्तियों पर छोड़ा जाता है। ये इल्लियां 24 घंटे में रेशम फल का आवरण तैयार कर लेती हैं। पहली फसल डेढ़ माह में तैयार हो जाती है। इन फलों से तैयार बीज 3,600 रुपये प्रति हजार फल की दर से बिकता है, जबकि कोसा धागा 7,000 से 8,000 रुपये प्रति किलो की दर से कोसा केंद्र में खरीदा जाता है। कई किसान इसे सीधे बाजार में बेचकर और अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।

ग्रामीणों और महिलाओं का सशक्तिकरण

यह पहल न केवल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन रही है, बल्कि महिला स्व-सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सलोरा के किसान छेदूराम और भूलसीराम ने बताया कि मनरेगा के तहत लगाए गए पौधे अब स्थायी आय के साधन बन चुके हैं। यह योजना रोजगार सृजन, पर्यावरण संरक्षण, और आजीविका संवर्धन को एक साथ बढ़ावा दे रही है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा

मनरेगा और रेशम विभाग के इस अभिसरण ने कोरबा जिले में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। कोसा पालन से न केवल किसानों और महिला समूहों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। जिला प्रशासन और रेशम विभाग इस मॉडल को और विस्तार देने की योजना बना रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण इससे लाभान्वित हो सकें।