सक्ती: सीरियागढ़ में अवैध ब्लास्टिंग और उत्खनन से गांव दहला, माइनिंग माफिया पर सत्ताधारी नेताओं का हाथ

सक्ती । डभरा ब्लॉक अंतर्गत सीरियागढ़ गांव में अवैध उत्खनन का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। दो क्रेशर संचालकों, लोकेश चंद्रा और यशवंत चंद्रा, ने गांव में जगह-जगह बारूद लगाकर ब्लास्टिंग की, जिससे पूरा गांव दहल गया। अवैध उत्खनन से कई स्थानों पर खाई बन गई है, और अब इसे नियम-विरुद्ध राखड़ से पाटकर अपनी करतूत छिपाने की कोशिश की जा रही है। पिछले एक साल में इस माइनिंग माफिया ने सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का संरक्षण होने के कारण प्रशासन कार्यवाही करने में हिचक रहा है।

जानकारी के अनुसार, सीरियागढ़ गांव में राज कुमार अग्रवाल को वर्ष 2014 में चुना पत्थर उत्खनन के लिए लाइसेंस मिला था। 10 साल तक उत्खनन के बाद उन्होंने काम बंद कर दिया। लेकिन, पिछले साल लोकेश चंद्रा और यशवंत चंद्रा ने अग्रवाल के लाइसेंस को अपने नाम करवाकर दूसरी जमीन पर अवैध उत्खनन शुरू कर दिया। इन दोनों ने गांव में कई जगहों पर ब्लास्टिंग कर पत्थर निकाले, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ।

लोकेश चंद्रा ने प्लांट प्रबंधन और पर्यावरण विभाग से सेटिंग कर उत्खनन वाली जगह को अब राखड़ से पाटना शुरू कर दिया है। पहले अवैध उत्खनन कर करोड़ों के पत्थर बेचे गए, और अब राखड़ ठिकाने लगाने के नाम पर भी मोटी कमाई की जा रही है। यह दोहरा खेल न केवल पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी खजाने को भी भारी चपत लगा रहा है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लोकेश चंद्रा और यशवंत चंद्रा को सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि जिला प्रशासन और संबंधित विभाग इनके खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। यह स्थिति मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सुशासन वाली सरकार की छवि पर सवाल उठा रही है।

सीरियागढ़ के ग्रामीण इस अवैध उत्खनन और ब्लास्टिंग से परेशान हैं। बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि ब्लास्टिंग से उनके घरों में दरारें पड़ रही हैं और पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।

इस मामले में प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है। ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने माइनिंग माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाने और अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की अपील की है। साथ ही, सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण की जांच की भी मांग उठ रही है।

प्रशासन ने मामले की जांच शुरू करने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इस माइनिंग माफिया पर लगाम लगा पाएगी या यह खेल यूं ही चलता रहेगा।