कोरबा जिले में मानसून की दस्तक के साथ ही सात समंदर पार से एशियन ओपन बिल स्टार्क प्रवासी पक्षी हजारों की संख्या में पहुंचने लगे हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 23 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कनकी में ये पक्षी हर साल मानसून से ठीक पहले आते हैं और गांव के मंदिर परिसर में लगे दो पेड़ों पर घोंसले बनाकर अपने बच्चों को जन्म देते हैं।
कनकी गांव में पक्षियों का स्वागत
कोरबा जिले में ये प्रवासी पक्षी केवल कनकी गांव में ही देखे जाते हैं। स्थानीय ग्रामीण इन्हें मानसून का संदेशवाहक और शुभ मानते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन पक्षियों का आगमन गांव के लिए सौभाग्य का प्रतीक है, यही वजह है कि कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाता। गांव के मंदिर परिसर में स्थित दो पेड़ों पर ये पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं।
वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए वन विभाग ने कई कदम उठाए हैं। पेड़ों के नीचे नेट लगाए गए हैं ताकि पक्षियों के अंडे और बच्चे सुरक्षित रहें। इसके अलावा, सांपों और अन्य जानवरों से बचाव के लिए पेड़ों पर कांटेदार फेंसिंग वायर लगाई गई है। बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली से पक्षियों को बचाने के लिए तड़ित चालक भी स्थापित किए गए हैं।
साइबेरियन पक्षियों का कोरबा से नाता
कोरबा के डीएफओ ने बताया कि ये ओपन बिल स्टार्क पक्षी दक्षिण पूर्व एशिया के देशों जैसे श्रीलंका, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया से आते हैं। कोरबा वन मंडल के ग्राम कनकी में इनके आगमन को देखते हुए वन विभाग लगातार उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम कर रहा है।
ग्रामीणों का स्नेह और संरक्षण
कनकी गांव के लोग इन पक्षियों को अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये पक्षी हर साल मानसून से पहले आते हैं और उनके आने से गांव में खुशहाली का माहौल बनता है। वन विभाग और ग्रामीणों के संयुक्त प्रयासों से इन प्रवासी पक्षियों के लिए कनकी गांव एक सुरक्षित और स्वागतयोग्य ठिकाना बन गया है।
Editor – Niraj Jaiswal
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