कोरबा। जहां स्कूल की छुट्टियां बच्चों के लिए मौज-मस्ती का समय होती हैं, वहीं कोरबा की मां-बेटी की जोड़ी इस समय का उपयोग प्रकृति और विज्ञान की खोज में करती है।
जीवविज्ञान की सहायक प्राध्यापक निधि सिंह अपनी बेटी सर्वज्ञा के साथ छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में दुर्लभ वनस्पतियों और वन्यजीवों की खोज में जुटी रहती हैं। छह साल की उम्र से शुरू हुआ यह सफर आज भी बदस्तूर जारी है।
निधि सिंह, जो छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की राज्य संयुक्त सचिव और कोरबा के एक कॉलेज में जूलॉजी की सहायक प्राध्यापक हैं, अपनी 12वीं कक्षा की छात्रा बेटी सर्वज्ञा को बचपन से ही प्रकृति के करीब ले गईं। उनकी पहली खोज यात्रा सतरेंगा में हुई, जब सर्वज्ञा महज छह साल की थी।
इसके बाद चैतुरगढ़ , उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क, कांगेर वैली नेशनल पार्क, उदंति सीतानदी, कांकेर के जंगल और ओड़िशा के गंधमर्दन तक उन्होंने अनगिनत यात्राएं कीं। गंधमर्दन में औषधीय पौधों की खोज के दौरान मां-बेटी ने 25 किलोमीटर की ट्रैकिंग की।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खोज
निधि का मानना है कि बच्चों में बचपन से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण और करियर के लिए सही दिशा देना माता-पिता की जिम्मेदारी है। वे कहती हैं, “प्यार, समर्थन और सहानुभूति के साथ बच्चों को संतुलित जीवन के लिए तैयार करना जरूरी है।” उनकी बेटी सर्वज्ञा ने स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के व्यवहार, दुर्लभ वनस्पतियों और वन्यजीवों पर गहन अध्ययन किया है। सर्वज्ञा द्वारा जुटाए गए डेटा और तस्वीरों को देखकर प्रकृति विज्ञानी भी आश्चर्यचकित हैं।
कई बार ये मां-बेटी मुश्किल मौसम और कठिन रास्तों पर 20-25 किलोमीटर पैदल चलकर नई प्रजातियों की खोज करती हैं। कुछ वर्ष पहले कोरबा में वैज्ञानिकों के एक दल ने निधि के सहयोग से करोड़ों साल पुरानी दुर्लभ वनस्पति की खोज की थी।
प्रेरणा का स्रोत
स्थानीय निवासी रमेश साहू ने कहा, “निधि और सर्वज्ञा की जोड़ी युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनकी मेहनत से कोरबा के जंगलों की जैव-विविधता को समझने में मदद मिल रही है।” शिक्षक संजय वर्मा ने बताया, “सर्वज्ञा का पक्षियों और वनस्पतियों पर अध्ययन भविष्य में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।”
निधि और सर्वज्ञा की यह जोड़ी न केवल कोरबा बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है। उनकी खोज यात्राएं प्रकृति संरक्षण और वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा दे रही हैं।
आगे की अपेक्षा: प्रशासन और वन विभाग ऐसी मां-बेटी की जोड़ी को प्रोत्साहन दे और उनके शोध कार्यों के लिए संसाधन उपलब्ध कराए, ताकि कोरबा की जैव-विविधता का संरक्षण और अध्ययन और सशक्त हो।
Editor – Niraj Jaiswal
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