कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। निजी सुरक्षा एजेंसी कामथेन सिक्यूरिटी पर लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद मरीज इलाज के दौरान बिना सूचना गायब हो रहे हैं, और कर्मचारियों ने सुपरवाइजर पर अभद्र व्यवहार के आरोप लगाए हैं। इस लापरवाही ने अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, मरीजों के गायब होने की घटनाएं तब सामने आती हैं, जब डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ दवा या जांच के लिए पहुंचते हैं और मरीज बेड पर नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में अस्पताल परिसर में तैनात पुलिस को सूचना दी जाती है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। मरीजों की सुरक्षा में यह चूक एजेंसी की लापरवाही को उजागर करती है।
इसके अलावा, कामथेन सिक्यूरिटी एजेंसी आंतरिक कर्मचारियों के साथ व्यवहार को लेकर भी विवादों में है। हाल ही में ड्यूटी पर लौटे एक सुपरवाइजर पर कर्मचारियों ने अभद्र भाषा और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
इसकी शिकायत श्रम मंत्री और मेडिकल कॉलेज के डीन तक पहुंच गई है। कर्मचारियों का कहना है कि सुपरवाइजर का व्यवहार अपमानजनक है, जिससे कार्य करना मुश्किल हो गया है। इस विवाद ने पहले से ही कमजोर सुरक्षा व्यवस्था को और प्रभावित किया है।
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के दायरे में है। न तो गायब मरीजों के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाई गई है, न ही कर्मचारियों की शिकायतों पर कार्रवाई हुई है। क्षेत्रवासियों और कर्मचारियों ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और एजेंसी की लापरवाही साबित होने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, सुरक्षा एजेंसी के चयन में किसी पक्षपात की जांच भी होनी चाहिए।
यह घटनाएं न केवल सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती हैं, बल्कि मरीजों और कर्मचारियों की सुरक्षा व सम्मान के प्रति प्रशासन की उदासीनता को भी दर्शाती हैं। शासन और प्रशासन से अब इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपेक्षा की जा रही है।
Editor – Niraj Jaiswal
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