नार्को टेस्ट से सुलझ रहे पुराने हत्या के मामले, खरोरा और अभनपुर में जांच तेज

रायपुर पुलिस अब पुराने हत्या के मामलों को सुलझाने के लिए नार्को टेस्ट का सहारा ले रही है। पहले इस टेस्ट के लिए संदिग्धों को हैदराबाद ले जाना पड़ता था, लेकिन जनवरी 2025 से यह सुविधा रायपुर में ही उपलब्ध हो गई है। खरोरा और अभनपुर थाना क्षेत्रों में दो अलग-अलग हत्या के मामलों में नार्को टेस्ट के जरिए पुलिस को अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।

खरोरा में राइस मिल हत्या मामले में नार्को टेस्ट

खरोरा थाना क्षेत्र के सारागांव के पास मेन रोड पर स्थित फूड एग्रो राइस मिल में एक साल पहले एक खलासी की लाश पानी की टंकी में मिली थी। ट्रक के साथ आए इस खलासी का रात में फैक्ट्री के गार्डों से विवाद और मारपीट हुई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने कई कर्मचारियों से पूछताछ की, लेकिन ठोस सबूत नहीं मिले। अब एक संदिग्ध का नार्को टेस्ट रायपुर में कराया गया है। सीएसपी वीरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि टेस्ट की रिपोर्ट मिलने पर जांच में तेजी आएगी और कार्रवाई में मदद मिलेगी।

अभनपुर में डेढ़ साल पुराने मामले में टेस्ट की तैयारी

अभनपुर थाना क्षेत्र में डेढ़ साल पहले एक बालक की हत्या का मामला सामने आया था। कुरूद थाना क्षेत्र से नहर में बहकर आए शव के गले में मोटी रस्सी बंधी थी, जिससे गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई। पुलिस को संदिग्ध का पता चला, लेकिन सबूतों के अभाव में जांच अटकी थी। अब इस मामले में भी नार्को टेस्ट के लिए तारीख मांगी गई है। एएसपी नवा रायपुर विवेक शुक्ला ने बताया कि मामला पुराना होने के कारण अभी टेस्ट की तारीख नहीं मिली है, लेकिन जल्द ही प्रक्रिया शुरू होगी।

नार्को टेस्ट की प्रक्रिया और महत्व

नार्को टेस्ट के लिए संदिग्ध की सहमति अनिवार्य होती है। टेस्ट के दौरान विशेष दवाओं के प्रभाव में संदिग्ध से पहले से तैयार सवाल पूछे जाते हैं। ये बयान सामान्य रूप से अदालत में स्वीकार्य नहीं होते, सिवाय उन परिस्थितियों के जब अदालत को लगता है कि कुछ तथ्य इसकी अनुमति देते हैं। रायपुर में पहले भी इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में मुख्य आरोपी का नार्को टेस्ट हो चुका है।

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि नार्को टेस्ट की स्थानीय उपलब्धता से जटिल मामलों को सुलझाने में तेजी आएगी। रायपुर में इस सुविधा के शुरू होने से पुलिस को हैदराबाद जैसे दूरस्थ स्थानों पर निर्भरता कम हुई है, जिससे समय और संसाधनों की बचत हो रही है।