जगदलपुर। मानसून की पहली बारिश के साथ ही छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक अनोखी सब्जी ने बाजारों में अपनी चमक बिखेरनी शुरू कर दी है। इस सब्जी का नाम है बोड़ा, जिसे स्थानीय लोग ‘बस्तर का काला सोना’ कहते हैं। न तो खेतों में उगने वाली और न ही दुकानों में आसानी से मिलने वाली यह सब्जी जंगलों में खजाने की तरह तलाशी जाती है। इसकी कीमत सुनकर हर कोई हैरान है 2500 से 3000 रुपये प्रति किलो
जंगल से निकलता है यह जैविक चमत्कार
हर साल जून-जुलाई में बस्तर के जंगलों में साल के पेड़ों की छांव तले, पत्तों की सड़न और मिट्टी की नमी के बीच बोड़ा उगता है। यह कोई साधारण सब्जी नहीं, बल्कि एक फफूंद (मशरूम) है, जो प्रकृति के सटीक संतुलन में ही जन्म लेता है। न इसका कोई बीज है और न ही इसे कृत्रिम रूप से उगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने लाख कोशिशें कीं, लेकिन बोड़ा की खेती का रहस्य अब तक अनसुलझा है। यह सिर्फ कुछ हफ्तों के लिए उगता है, और यही इसकी कीमत और स्वाद को आसमान तक ले जाता है। लोग कहते हैं कि इसका स्वाद मटन और चिकन से भी बेहतर है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन रहा बोड़ा
बोड़ा अब बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है। महुआ और तेंदूपत्ता के बाद यह आदिवासियों के लिए सीजनल आय का बड़ा जरिया है। हर साल सैकड़ों क्विंटल बोड़ा जंगलों से निकाला जाता है, जो जगदलपुर से लेकर रायपुर, भिलाई, नागपुर और विशाखापट्टनम तक पहुंचता है। आदिवासी महिलाएं इसे इकट्ठा कर शहरों के बाजारों में बेचने पहुंचती हैं, जिससे उनकी आजीविका को बल मिलता है।
सुपरफूड है बोड़ा, सेहत का खजाना
बोड़ा सिर्फ स्वाद में ही नहीं, सेहत में भी बेजोड़ है। इसमें प्रोटीन, विटामिन बी, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसे सुपरफूड की श्रेणी में रखा जाता है। मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कुपोषण और पेट की बीमारियों के लिए रामबाण माना जाता है। इसकी कीमत भले ही ऊंची हो, लेकिन इसके फायदे इसे हर पैसे का हकदार बनाते हैं।
देश-विदेश में बोड़ा की धूम
बस्तर का प्राकृतिक सौंदर्य और आदिवासी संस्कृति पहले से ही देश-विदेश में मशहूर है। अब बोड़ा भी इस सूची में शामिल हो चुका है। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा, तेलंगाना और अन्य राज्यों से लोग इसे खरीदने बस्तर पहुंच रहे हैं। विदेशी पर्यटक भी बोड़ा की सब्जी को बड़े चाव से चखते हैं। इसकी मांग अब केवल स्थानीय बाजारों तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक सुपरफूड के रूप में उभर रहा है।
जब बोड़ा इतना खास है, तो यह दुनिया की नजरों से अब तक कैसे छिपा रहा? इसकी खेती का फॉर्मूला ढूंढना वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना हुआ है। लेकिन बस्तर के लोग इसे प्रकृति का अनमोल तोहफा मानते हैं, जो हर साल उनकी मेहनत और धैर्य का इनाम बनकर आता है।
Editor – Niraj Jaiswal
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