कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की कुसमुंडा खदान क्षेत्र में रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे चार भूविस्थापितों—सरिता कौशिक, गोमती केवट, मीना कंवर और लंबोदर श्याम—की गिरफ्तारी ने किसान संगठनों में भारी रोष पैदा कर दिया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने इस कार्रवाई को दमनकारी बताते हुए कड़ी निंदा की है और आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है। शनिवार को एसईसीएल के सीएमडी हरीश दुहान का पुतला दहन करने की घोषणा भी की गई है।
1978 से अधर में लटका पुनर्वास और रोजगार
कुसमुंडा खदान क्षेत्र के कई गांवों की जमीन 1978 से 2004 के बीच कोयला खनन के लिए अधिग्रहित की गई थी। इसके बावजूद, हजारों भूविस्थापितों को न तो रोजगार मिला और न ही समुचित पुनर्वास। वर्षों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन उनकी समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहा। हाल ही में अप्रैल में भी भूविस्थापितों पर कथित तौर पर झूठे आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने असंवेदनशील करार दिया।
दमन के खिलाफ एकजुटता
माकपा नेता प्रशांत झा ने आरोप लगाया कि एसईसीएल के नए सीएमडी पुलिस के दम पर आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण आंदोलन को झूठे मामलों में फंसाकर डराने की कोशिश की जा रही है, लेकिन भूविस्थापित और किसान डरने वाले नहीं हैं।” छत्तीसगढ़ किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू और सुमेंद्र सिंह कंवर ने मांग की है कि फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं और पात्र भूविस्थापितों को तत्काल रोजगार दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो अधिग्रहित जमीन मुआवजे सहित वापस करने की मांग उठेगी।
भूविस्थापितों का संकल्प: “हक की लड़ाई जारी रहेगी”
भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव और जय कौशिक ने कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था। उन्होंने गिरफ्तार साथियों की तत्काल रिहाई की मांग की और चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
कोलफील्ड में संयुक्त आंदोलन की तैयारी
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने पूरे कोलफील्ड क्षेत्र में संयुक्त किसान-भूविस्थापित आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि जब तक सभी प्रभावितों को न्याय नहीं मिलता, यह संघर्ष जारी रहेगा। यह आंदोलन न केवल कुसमुंडा, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में विस्थापन और अन्याय के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन रहा है।
चुनौती: संवेदनशीलता या जनआंदोलन की आग
कुसमुंडा में भूविस्थापितों की यह लड़ाई अब केवल रोजगार और पुनर्वास तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह पूरे प्रदेश में विस्थापन के दर्द और संघर्ष का प्रतीक बन चुकी है। प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन के सामने अब यह चुनौती है कि वे संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे का समाधान करें, वरना जनआंदोलन की आग और भड़क सकती है।
Editor – Niraj Jaiswal
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