मानिकपुर खदान में राखड़ परिवहन के खिलाफ ग्रामीणों का हंगामा, प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत

कोरबा।  मानिकपुर खदान में राखड़ परिवहन और ओवरबर्डन डंपिंग नियमों की अनदेखी के खिलाफ भिलाईखुर्द, कुदरी, रापखरा, और ढेलवाडीह सहित 4-5 गांवों के ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह 11 बजे मोर्चा खोल दिया।

ग्रामीणों ने एसईसीएल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राखड़ परिवहन बंद कराया, जिससे कोरबा-चांपा मुख्य मार्ग पर वाहनों की लंबी कतार लग गई और जाम की स्थिति बन गई।

ग्रामीणों का आरोप है कि बालको, एनटीपीसी, और सीएसईबी द्वारा केवल राखड़ डंप किया जा रहा है, जबकि नियमों के अनुसार ओवरबर्डन (मिट्टी) की डंपिंग नहीं हो रही। इससे राखड़ हवा में उड़कर घरों, खेतों, और सब्जियों में फैल रही है, जिसके कारण टीबी, दमा, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। राखड़ युक्त पानी खेतों में पहुंचने से मिट्टी की उर्वरता भी नष्ट हो रही है।

भू-विस्थापित अमन पटेल ने बताया कि एसईसीएल प्रबंधन को कई बार पत्राचार और शिकायतों के जरिए अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीण रामेलाल ने कहा कि राखड़ के कारण खाना-पीना मुश्किल हो गया है, और खेतों की उपज प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने मांग की है कि राखड़ परिवहन बंद हो, नियमों का पालन हो, और स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जाए।

प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने गौ माता चौक के पास खदान में प्रवेश कर राखड़ परिवहन रोक दिया और मांग की कि मिट्टी डंपिंग अनिवार्य रूप से की जाए। चक्काजाम से आम लोगों को आवागमन में परेशानी हुई। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे खदान का पूरा प्रोडक्शन बंद कर देंगे। जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की जा रही है।