कोरबा। छत्तीसगढ़ में मई 2025 में समय से पहले मानसून की एंट्री और प्रभावहीन नवतपा ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। प्री-मानसून बारिश से पहले ही फसलों को नुकसान झेल चुके किसानों को अब जल्दी मानसून और डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की कमी ने चिंता में डाल दिया है। मौसम के इस अप्रत्याशित बदलाव से फसलों पर कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, जिससे खेती प्रभावित होने की आशंका है।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष पारसनाथ साहू ने डीएपी की कमी को लेकर सरकार को कड़ा अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि बिना डीएपी के फसल बोना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण है और सरकार जल्द से जल्द इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करे, अन्यथा प्रदेशभर में किसान बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
विपक्ष भी इस मुद्दे को लगातार उठा रहा है, जबकि कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने अन्य खादों से डीएपी की कमी की पूर्ति करने की बात कही है।
कृषि विशेषज्ञ संकेत ठाकुर ने बताया कि इस साल नवतप्पा के दौरान अपेक्षित गर्मी न पड़ने और मिट्टी में नमी बने रहने से माइक्रोबैक्टीरिया और कीटों का खतरा बढ़ गया है। इससे फसलों को नुकसान और खर-पतवार की समस्या हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों को समय पर बीज, खाद और डीएपी उपलब्ध कराना जरूरी है, अन्यथा खेती पिछड़ सकती है।
प्रदेश में डीएपी की कमी पहले से ही एक राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है। सितंबर 2024 में छत्तीसगढ़ को 10,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी, लेकिन केवल 6,840.1 मीट्रिक टन ही उपलब्ध हो सका। अब देखना यह है कि क्या सरकार समय रहते किसानों की जरूरतों को पूरा कर पाएगी या किसानों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
Editor – Niraj Jaiswal
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