कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने संसद में उठाया खनन क्षेत्र की समस्याओं का मुद्दा: अवैध घुसपैठ, स्वास्थ्य सुविधाओं और पुनर्वास पर जोर

कोरबा। कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में कोयला, खनन और इस्पात पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में कोरबा जिले के खनन क्षेत्र की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया।

उन्होंने खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की राशि का प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता के साथ उपयोग करने, खनन प्रभावित लोगों को तकनीकी और रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देने, और मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल विकसित करने की मांग की।

माइनिंग कॉलेज और रोजगार की मांग

सांसद ने कोरबा में माइनिंग कॉलेज और स्थायी ट्रेनिंग सेंटर की कमी पर चिंता जताई, जिससे प्रभावित बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकें। उन्होंने खनन उपक्रमों में प्रभावित समुदायों को ठेकों में अवसर देने और आत्मनिर्भरता के लिए पुनर्वास और भू-विस्थापितों की समस्याओं का प्राथमिकता से समाधान करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, उन्होंने खनन अपशिष्ट के निष्पादन के लिए स्पष्ट नीति की मांग की।

स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर

ज्योत्सना महंत ने कोरबा के निजी उपक्रम बालको के अस्पताल को सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में तब्दील करने और रियायती दरों पर सुविधाएं प्रदान करने की मांग की। साथ ही, लैंको-अडानी जैसे उपक्रमों से सामुदायिक विकास में अधिक भागीदारी की अपेक्षा जताई। उन्होंने चलित अस्पतालों और सार्वजनिक-निजी उपक्रमों के अस्पतालों को मल्टी-स्पेशियलिटी स्तर पर विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

खदानों में अवैध घुसपैठ और हादसे

सांसद ने कोयला खदानों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि त्रिपुरा राइफल्स और सशस्त्र बलों की तैनाती के बावजूद एसईसीएल की गेवरा, कुसमुंडा, और दीपका खदानों में अवैध घुसपैठ और कोयला तस्करी रुक नहीं रही है।

उन्होंने मंगलवार को दीपका खदान में हुए हादसे का जिक्र किया, जिसमें दो लोगों की मौत और एक व्यक्ति घायल हो गया। उन्होंने इस हादसे की जिम्मेदारी तय करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। सांसद ने पहले भी खदानों में गोलीबारी और हिंसक घटनाओं का उल्लेख करते हुए इसे अधिकारियों और तस्करों की साठगांठ का परिणाम बताया।

सांसद ने चिरमिरी क्षेत्र में कोयला खदानों में लगी आग, झगराखंड की समस्याओं, और वहां रहने वाले कामगारों व स्थानीय लोगों की कठिनाइयों को भी समिति के समक्ष रखा। उन्होंने कोरिया जिले में सर्वसुविधायुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की मांग दोहराई।