कोरबा। प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए अब पढ़ाई मातृभाषा में होगी। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (एनसीएफएसई)-2023 के तहत गाइडलाइन जारी की है, जिसमें प्री-प्राइमरी से कक्षा 5 तक की शिक्षा मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया है। यह नियम शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होगा।
सीबीएसई ने स्कूलों को मई 2025 तक एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है, जो गाइडलाइन के कार्यान्वयन, बच्चों की मातृभाषा की पहचान, शिक्षण सामग्री और संसाधनों की व्यवस्था करेगी।
प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक को फाउंडेशनल स्टेज माना गया है, जहां मातृभाषा में पढ़ाई अनिवार्य होगी। कक्षा 3 से 5 तक मातृभाषा में पढ़ाई की सलाह दी गई है, लेकिन माध्यम बदलने का विकल्प भी खुला रखा गया है।
केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1 की डॉ. अश्विनी चतुर्वेदी ने बताया कि मातृभाषा में पढ़ाई से बच्चों की समझ, आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता बढ़ती है। क्षेत्र में हिंदी का प्रभाव अधिक होने के कारण प्राथमिक शिक्षा मुख्य रूप से हिंदी में होगी।
साथ ही, छत्तीसगढ़ी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं का भी उपयोग किया जा सकता है। शिक्षकों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्कूलों में गठित कमेटी बच्चों की भाषाई जरूरतों का आकलन कर शिक्षण सामग्री तैयार करेगी।
Editor – Niraj Jaiswal
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