कोरबा जिले में इस खरीफ सीजन में कृषि विभाग ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मूंगफली की खेती पर विशेष जोर दिया है। नेशनल मिशन ऑफ एडिबल ऑयल के तहत जिले में 1500 एकड़ भूमि पर मूंगफली की प्रदर्शन खेती की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए किसानों को रियायती दर पर उपचारित बीज उपलब्ध कराए जाएंगे और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
कृषि विभाग ने खरीफ फसल की तैयारियां तेज कर दी हैं। किसानों को रियायती दर पर खाद और बीज भंडारण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। फसल चक्र को बढ़ावा देने और कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसलों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए मूंगफली की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पोड़ी-उपरोड़ा, पाली और कोरबा के मैदानी खेतों में मूंगफली उत्पादन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
जिला कृषि अधिकारी के अनुसार, मूंगफली की खेती में प्रति एकड़ 20 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि इससे 70 हजार रुपये तक की आय प्राप्त हो सकती है। यदि मूंगफली से तेल निकाला जाए तो प्रति एकड़ 80 हजार रुपये तक की आय संभव है। धान की तुलना में मूंगफली की खेती अधिक लाभकारी है और यह फसल मात्र तीन महीने में तैयार हो जाती है।
मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त मैदानी खेतों में बोआई जुलाई से अगस्त के बीच की जाती है। धान की तुलना में मूंगफली को कम पानी की जरूरत होती है। जहां धान के लिए प्रति किलो चार लीटर पानी चाहिए, वहीं मूंगफली मात्र एक से डेढ़ लीटर पानी में तैयार हो जाती है। असिंचित और वर्षा आधारित खेतों के लिए यह फसल आदर्श है।
कृषि विभाग ने इस साल मूंगफली की खेती का रकबा बढ़ाकर 2300 एकड़ करने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के 2100 एकड़ से 200 एकड़ अधिक है। प्रदर्शन खेती के लिए किसानों का चयन शुरू हो गया है।
साथ ही, मूंगफली के भंडारण, सुरक्षा और तेल उत्पादन की तकनीकों से भी किसानों को अवगत कराया जाएगा। विभाग किसानों को जागरूक करने और उत्पादन की आधुनिक विधियों की जानकारी देने के लिए कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है।
Editor – Niraj Jaiswal
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