रायगढ़ जिला बना डिजिटल पंचायत शासन का प्रतीक, यूपीआई से टैक्स भुगतान में 117% की वृद्धि

रायगढ़ जिला डिजिटल इंडिया की सोच को साकार करते हुए ग्रामीण शासन में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। यह प्रदेश का पहला जिला बन गया है, जहां सभी 549 ग्राम पंचायतों में टैक्स और शुल्क का भुगतान यूपीआई के माध्यम से किया जा रहा है। प्रॉपर्टी टैक्स, जलकर, बाजार शुल्क और स्वच्छता कर जैसे भुगतान अब ग्रामीण अपने मोबाइल फोन से आसानी से कर रहे हैं।

डिजिटल भुगतान से पारदर्शिता और आय में वृद्धि

जिले ने यूपीआई आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली को गांवों तक पहुंचाकर पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। पंचायत भवनों और सार्वजनिक स्थानों पर यूपीआई क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिससे ग्रामीण घर बैठे टैक्स भर रहे हैं। तत्कालीन कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने 12 मार्च 2025 को प्रधानमंत्री अवॉर्ड स्क्रीनिंग कमेटी के सामने इस मॉडल की प्रस्तुति दी, जिसमें बताया गया कि इस प्रणाली से टैक्स वसूली में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 117% की वृद्धि हुई है। कई पंचायतों में यह आंकड़ा दोगुना से भी अधिक है।

आदिवासी क्षेत्रों में भी डिजिटल क्रांति

रायगढ़ के सात में से पांच आदिवासी बहुल ब्लॉकों में भी यह प्रणाली लागू हो चुकी है। विशेष रूप से, 330 पीवीटीजी बिरहोर परिवारों ने यूपीआई से टैक्स भुगतान शुरू किया है, जो डिजिटल समावेशन की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। इस पहल से ग्राम सभाओं में लोगों की भागीदारी में 57% की वृद्धि दर्ज की गई है।

महिला सशक्तिकरण और वित्तीय लेन-देन

महिला स्व-सहायता समूहों और बीसी सखियों के लेन-देन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

2022-23: 3969.30 लाख रुपये

2023-24: 4236.50 लाख रुपये

2025 (फरवरी तक): 4650.80 लाख रुपये

वित्तीय प्रणाली में सुधार

डिजिटल रिकॉर्ड से खाता रखरखाव, ऑडिट और नकद बहीखाता मिलान में भी सुविधा हुई है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जितेन्द्र यादव ने बताया कि वित्त मंत्री ओ पी चौधरी और तत्कालीन कलेक्टर कार्तिकेया गोयल के मार्गदर्शन में यह पहल शुरू हुई। वर्तमान कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के नेतृत्व में शत-प्रतिशत पंचायतों में डिजिटल टैक्स कलेक्शन को लागू करने का कार्य तेजी से चल रहा है।

छत्तीसगढ़ के लिए रोल मॉडल

रायगढ़ की यह पहल अब पूरे छत्तीसगढ़ के लिए रोल मॉडल बन चुकी है। डिजिटल पंचायत शासन के इस मॉडल ने न केवल ग्रामीणों के लिए भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाया, बल्कि पंचायत व्यवस्था में उनकी भागीदारी और विश्वास को भी बढ़ाया है।