कोरबा जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) फंड के दुरुपयोग और कमीशनखोरी के गंभीर आरोपों ने प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है। इस घोटाले में न केवल जनपद पंचायतों के सीईओ, बल्कि क्लर्क, नोडल अधिकारी और बिचौलियों के नाम भी सामने आए हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि ठेके देने और बिल पास करने के लिए 1% से 7% तक कमीशन लिया जाता था, जिसमें तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू का नाम भी उजागर हुआ है।
जांच के अनुसार, इस घोटाले की शुरुआत बालोद जिले से हुई, जब रानू साहू वहां कलेक्टर थीं। कोरबा में उनका तबादला होने के बाद यह खेल वहां भी जारी रहा। कारोबारी संजय शेंडे ने तीन फर्मों के जरिए 130 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए, जिसमें से 20 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में रानू साहू को दिए गए। सोलर लाइट, आंगनबाड़ी सामग्री और कृषि यंत्रों की आपूर्ति के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए।
घोटाले में शामिल जनपद पंचायत सीईओ वीके राठौर, भुनेश्वर राज, राधेश्याम मिर्झा और आरएस सेंगर के साथ-साथ नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर की गिरफ्तारी हो चुकी है। क्लर्कों में भारद्वाज, शर्मा, सूर्यवंशी और निषाद बाबू के नाम सामने आए हैं, जिन्हें 1-2% कमीशन मिलता था। बिचौलियों मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष साहू और अब्दुल ने फर्जी बिल बनाकर भुगतान कराने में अहम भूमिका निभाई। द्विवेदी ने ईडी को बताया कि अब्दुल और शेखर 3% कमीशन लेकर नकली बिल तैयार करते थे।
22-23 करोड़ रुपये के टेंडर में 2.5 से 3 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में दिए गए। DMF फंड, जो खनिज संपदा से होने वाली आय को जनता के विकास के लिए उपयोग करने का प्रावधान करता है, उसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ। जांच एजेंसियां अब इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रही हैं, और सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
Editor – Niraj Jaiswal
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