कोरबा जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों गर्मी की तपिश और सूखे खेतों के बीच तेंदूपत्ता संग्रहण ग्रामीणों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। जिले के कोरबा और कटघोरा वनमंडल के जंगलों और आसपास की खुली जगहों में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम जोरों पर है।
बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी इस काम में उत्साह के साथ जुटे हैं। सरकार द्वारा तेंदूपत्ता के दाम को प्रति मानक बोरा 4000 रुपये से बढ़ाकर 5500 रुपये करने से संग्राहकों में खुशी की लहर है। यह हरा सोना उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रमुख स्रोत बन रहा है।
पोड़ी उपरोड़ा क्षेत्र के दम्हामुड़ा गांव के आदिवासी दंपत्ति देव प्रताप पोर्ते और सुशीला पोर्ते सुबह से जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने निकल पड़ते हैं। सुशीला बताती हैं कि सुबह से दोपहर तक पत्ते तोड़े जाते हैं, फिर इन्हें गठरी में बांधकर घर लाया जाता है। दोपहर बाद 50-50 पत्तों के बंडल बनाए जाते हैं।
परसा पेड़ की छाल से बनी रस्सी से ये गड्डियां तैयार की जाती हैं। देव प्रताप का कहना है कि वे ज्यादा दूर नहीं जाते, आसपास के जंगलों से ही पत्ते तोड़कर लाते हैं। इस बार पिछले साल की तुलना में वे ज्यादा पत्ते तोड़ रहे हैं।
महतारी वंदन योजना के तहत प्रति माह 1000 रुपये प्राप्त करने वाली सुशीला बाई ने बताया कि तेंदूपत्ता के दाम बढ़ने से उनकी आमदनी में इजाफा होगा। वे इस राशि से अपने घर को बनाने की योजना बना रही हैं।
गांव की मूलको बाई भी उत्साहित हैं और कहती हैं कि जितना ज्यादा पत्ता तोड़ा जाएगा, उतनी ही अधिक कमाई होगी। पहले 2500 रुपये, फिर 4000 रुपये और अब 5500 रुपये प्रति मानक बोरा मिल रहा है, जो ग्रामीणों के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।
संग्राहकों को तेंदूपत्ता संग्रहण कार्ड के माध्यम से बीमा और बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं भी मिल रही हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों ने दाम में वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को धन्यवाद दिया है। इस मौसम में जब खेती और अन्य काम कम होते हैं, तेंदूपत्ता संग्रहण ग्रामीणों के लिए अतिरिक्त आय का महत्वपूर्ण जरिया बन गया है।
Editor – Niraj Jaiswal
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