कोरबा। जिले की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के कार्यकाल में हुए कथित करोड़ों रुपये के डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) घोटाले की जांच में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इस सिलसिले में पाली, पोड़ी उपरोड़ा और कटघोरा जनपद पंचायत में तत्कालीन पदस्थ बाबुओं को तलब कर पूछताछ की गई है। सूत्रों के अनुसार, ठेकेदारों ने ACB को बताया कि डीएमएफ कार्यों के ठेके, स्वीकृति और वितरण के एवज में इन बाबुओं को मोटी रकम दी गई थी।
जानकारी के मुताबिक, पोड़ी उपरोड़ा और पाली जनपद के बाबू सूर्यवंशी और शर्मा, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, रानू साहू के कार्यकाल (मई 2021-जून 2022) के दौरान डीएमएफ कार्यों का प्रभार संभाल रहे थे। वहीं, कटघोरा जनपद के बाबू भारद्वाज, जो वर्तमान में भी पदस्थ हैं, से भी ACB ने पूछताछ की। ठेकेदारों ने जांच एजेंसी को बताया कि कार्यों की स्वीकृति और भुगतान के लिए 25 से 40 प्रतिशत तक कमीशन का भुगतान अधिकारियों को किया गया था।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि ACB ने इन बाबुओं से लेन-देन और डीएमएफ फंड के दुरुपयोग से जुड़ी अहम जानकारियां हासिल करने की कोशिश की। हालांकि, पूछताछ में बाबुओं ने क्या खुलासा किया, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह तय है कि डीएमएफ फंड की ‘गंगा’ में ठेकेदारों और अधिकारियों ने मिलकर डुबकी लगाई है।
एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) की जांच में पहले ही सामने आ चुका है कि कोरबा जिले को डीएमएफ के तहत 1000 करोड़ रुपये से अधिक का फंड आवंटित हुआ था, जिसमें से सैकड़ों करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई।
रानू साहू और तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वरियर को ED ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। अब ACB की ताजा कार्रवाई से घोटाले के और बड़े खुलासे होने की संभावना है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
Editor – Niraj Jaiswal
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