बिलासपुर।साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (SECL) मुख्यालय, बिलासपुर में ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के साथ भूविस्थापितों की 12 सूत्रीय मांगों और अन्य मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।
बैठक में SECL के सीएमडी हरीश दुहन, डायरेक्टर तकनीकी (पीपी) एन फ्रेंकलिन जयकुमार, डायरेक्टर पर्सनल बिरंचि दास सहित जीएम भू-राजस्व, जीएम श्रम शक्ति और अन्य विभागों के प्रमुख अधिकारी शामिल थे। दो चरणों में हुई इस लंबी बैठक में सभी मांगों पर विस्तृत चर्चा की गई, जिससे भूविस्थापितों की समस्याओं के समाधान की उम्मीद जगी है।
आंदोलन के दबाव में बैठक
गौरतलब है कि भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने 1 अप्रैल को SECL मुख्यालय में आक्रोश रैली और प्रदर्शन के साथ 12 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा था। इसके बाद 16 अप्रैल को कोरबा, दीपका, कुसमुंडा, रायगढ़ और अन्य क्षेत्रों की खदानों में ऐतिहासिक आंदोलन किया गया, जिसमें खदान और कोयला परिवहन पूरी तरह ठप हो गया था। इस आंदोलन के दबाव में SECL प्रबंधन को उच्च स्तरीय बैठक आयोजित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रमुख मांगें और सहमति
बैठक में भूविस्थापितों की निम्नलिखित मांगों पर सकारात्मक चर्चा हुई और कई पर सहमति बनी:
पुनर्वास कमेटी का गठन: जिला पुनर्वास समिति की तर्ज पर क्षेत्रीय स्तर पर समस्याओं के समाधान के लिए कमेटी गठित की जाएगी।
केंद्रीय पुनर्वास नीति 2013: कोल इंडिया नीति के बजाय इस नीति को लागू करने की पहल होगी, ताकि बेहतर पुनर्वास और रोजगार की व्यवस्था हो सके।
छोटे खातेदार और लंबित रोजगार: पुराने रोजगार मामलों और अर्जन के बाद जन्मे लोगों के लिए लीगल ओपिनियन के आधार पर कार्रवाई होगी।
वन और शासकीय भूमि: निर्मित मकानों और सामूहिक अधिकारों के लिए जांच कर अन्याय रोकने का आश्वासन।
आउटसोर्सिंग में भर्ती: प्रभावितों के लिए 80% भर्ती सुनिश्चित करने हेतु एनआईटी में संशोधन।
स्वरोजगार और कौशल विकास: स्वयं सहायता समूह और भूविस्थापित सहकारी समितियों के लिए कौशल उन्नयन कार्यक्रम और स्वरोजगार के अवसर।
ठेका कार्यों की सीमा: भूविस्थापितों के ठेका कार्यों की सीमा 5 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने पर सहमति।
पुनर्वास ग्रामों का विकास: सर्वे कर विकास कार्य कराए जाएंगे।
जिला खनिज न्यास: प्रभावित ग्रामों में पंचायतों के माध्यम से राशि खर्च के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।
मुआवजा और सामाजिक सुरक्षा: मूल किसानों के मुआवजे में कटौती नहीं होगी, ठेका श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और निरीक्षण की व्यवस्था।
खदानों की बैक फिलिंग: बंद खदानों में बैक फिलिंग और नियमानुसार कार्रवाई।
शिक्षा और स्वास्थ्य: भूविस्थापितों के लिए मेडिकल कैंप और डीएवी स्कूलों में आरक्षण।
कानूनी कार्रवाई पर रोक: अनावश्यक कानूनी कार्रवाई न हो और मासिक समस्या समाधान शिविर आयोजित हों।
भूविस्थापित कॉपरेटिव को बढ़ावा
बैठक में भूविस्थापित कॉपरेटिव के लिए पेट्रोल पंप और मसाला उद्योग स्थापित करने की योजना पर भी चर्चा हुई। इससे भूविस्थापित परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
प्रतिनिधियों की भागीदारी
बैठक में कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, रायगढ़, हसदेव, चिरमिरी और सोहागपुर क्षेत्रों के 47 भूविस्थापित प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें सपुरन कुलदीप, लक्ष्मी चौहान, विजयपाल सिंह , रुद्र दास महंत, अनुसुईया राठौर, संतोष चौहान, बसंत कुमार कंवर, ललित महिलांगे, केशव नारायण जायसवाल, लता कंवर, मुकेश कंवर, नेहा तंवर, गणेश सिंह उइके, श्रवण यादव, चंदन सिंह, उर्मिला बंजारा, भरत झरिया, विनय शुक्ला, सत्यपाल साहू, बबिता आदिले आदि प्रमुख थे।
भविष्य की उम्मीदें
2021 में भी समिति के आंदोलन के दबाव में नीतियों में संशोधन हुआ था। इस बैठक से भी नीतिगत बदलाव की उम्मीद है, जो भूविस्थापितों के हित में होगा। समिति ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया और कहा कि इससे प्रभावित परिवारों को बेहतर रोजगार, मुआवजा और सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी।
Editor – Niraj Jaiswal
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