प्राचीन शिल्प के अध्ययन और संरक्षण की जरूरत
कोरबा। वर्तमान कोरबा जिले और प्राचीन कल्चुरी राजकाज वाले क्षेत्र में अनेक स्थानों पर पुरा संपदा का अपना इतिहास रहा है। शिल्पकला और राजप्रासाद के अवशेष बताते हैं कि अतीत में यह सब कितना समृद्ध रहा होगा। इसी पर अध्ययन और संरक्षण को लेकर काम की जरूरत है।
कल्चुरी समाज के संयोजक सह अध्यक्ष कौन्तेय जायसवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोयला और अन्य खनिज के मामले में समृद्ध कोरबा जिले में शिल्प, वास्तु और पुरातत्व का अपना एक अच्छा इतिहास रहा है।
तुमान क्षेत्र में इसके काफी उदाहरण हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कलचुरी राजवंश इतिहास एवं पुरातत्व शोध समिति कोरबा छतीसगढ़ द्वारा ग्राम तुमान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करने जा रहा है।
संगोष्ठी में राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल मुख्य अतिथि होंगे। आयोजन को लेकर पदाधिकारियों ने बताया कि भारतवर्ष के अन्य राज्यों से कल्चुरी जायसवाल कलार समाज के लोग एकत्रित होकर छत्तीसगढ़ में कल्चुरी शासन काल की धरोहर को लेकर बौद्धिक परिचर्चा करेंगे जहां देश के प्रख्यात विश्वविद्यालय से आये पुरातत्व के प्रोफेसर कल्चुरी सम्राज्य व उनकी धरोहर को संरक्षित रखने से लेकर आज की युवा पीढ़ी को कल्चुरी राजवंश के विषय पर विस्तृत जानकारी देंगे।
22 व 23 मार्च को ग्राम तुमान में होने वाली कल्चुरी जायसवाल समाज की राष्ट्रीय संगोष्ठी को लेकर कटघोरा के अग्रसेन भवन में प्रेसवार्ता रखी जहां कल्चुरी समाज के संयोजक सह अध्यक्ष कौन्तेय जायसवाल ने कार्यक्रम के विषय मे जानकारी दी।
Editor – Niraj Jaiswal
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