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कोरबा। जो मनुष्य आज के भौतिक सुख साधन की जगह आध्यात्मिक रास्ते को अपनाकर जीवन में चलता है और श्रद्धा और आध्यात्म के साथ जीवन व्यतीत करता है वह जीवन में श्रेष्ठ है। ऐसे व्यक्ति सामाज में आध्यात्म का प्रचार प्रसार करने के साथ चिंतन करते हैं।
उक्त बातें डॉ. पंडित सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने दीनदयाल मार्केट स्थित पीली कोठी में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कही। श्री गोस्वामी दर्शन परिवार एमपी नगर द्वारा आयोजित 24 से 30 दिसंबर तक श्रीमद् भागवत कथा में मुख्य ब्यास कथा वाचक के रूप में उपस्थित होकर श्रद्धा और आध्यत्म पर प्रवचन दे रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आध्यात्म उन्हें विरासत में मिली है और वे अपने पिता चैतन्य गोस्वामी जी से किशोरवय अवस्था में ही दीक्षा लेकर देश-विदेश तक लोगों को सहजता का पाठ पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिना व्यवसायिक चिंतन के आध्यात्म एवं सनातन धर्म तथा हमारी विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे छत्तीसगढ़ के राजनांद गांव में ही जन्म लेकर देश-विदेश तक भगवत गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुख-दुख हमारे जीवन के अतिथि हैं।. आते जाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सुख-दुख को एक दूसरे को बांटते रहना चाहिए, इससे मन में सहज भाव पुष्ट होता है। वे मनुष्य को सहज बनाने के लिए उपदेश देते फिर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मानव वही श्रेष्ठ है जो आध्यात्मिक रूप से धनवान है, न कि भौतिक रूप से धनवान व्यक्ति। उन्होंने कहा कि भक्ति में ही उत्सव है और जीवन में सदैव उत्सव मनाते रहना चाहिए, यही जीवन का सार है। उन्होंने पत्रकारों के पूछे सवाल को सहज ढंग से जवाब दिया। इस अवसर पर दर्शन परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
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