माटी अधिकार मंच ने लाभ दिलाने प्रशासन से लगाई गुहार

एसईसीएल की मनमानी से छोटे खातेदारों को नहीं मिल रहा रोजगार

कोरबा। कोरबा जिले में एसईसीएल की चार परियोजनाएं कुसमुंडा, गेवरा, दीपका एवं कोरबा क्षेत्र संचालित है। इन परियोजनाओं के द्वारा कोल उत्खनन के विस्तार हेतु लगातार अधिग्रहण किया जा रहा है।

अधिग्रहण उपरांत मापदंडों के अनुरूप मुआवजा, रोजगार एवं पुनर्वास नहीं मिलने से ग्रामीण लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। पुराने अर्जन में शासन प्रशासन के दिशा निर्देश के अनुरूप रोजगार प्रदान किए जाते रहे हैं। मध्य प्रदेश शासन की पुनर्वास नीति वर्ष 1991 में आने के बाद इस नीति के तहत रोजगार पुनर्वास की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। एसईसीएल के द्वारा एकाएक वर्ष 2010 से कोल इंडिया पॉलिसी के तहत रोजगार देने से अर्जित ग्रामों के छोटे भूस्वामी रोजगार से वंचित हो हैं। कोल इंडिया पॉलिसी 2012 में केवल बड़े खातेदारों को रोजगार का लाभ मिल रहा है। कई पीढिय़ों से गांव में निवासरत छोटे खातेदार को इस पॉलिसी के तहत रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा हैं।


केंद्र सरकार की नया भूमि अधिग्रहण कानून ‘भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 यथा संशोधित 2015 ‘आने के बाद से कई परियोजनाओं में इसका लाभ मिलने लगा है।

इस कानून को संक्षिप्त रूप में लार एक्ट के नाम से जाना जाता है। यह कानून 1 सितंबर 2015 से प्रभावी हो गया है। एसईसीएल को भी इस कानून के तहत रोजगार, मुआवजा एवं पुनर्वास दिया जाना है।

लार कानून के आने के बाद से किसी भी नीति, दिशा निर्देश का संवैधानिक महत्व समाप्त हो गया है। 1 सितंबर 2015 तक जिस अधिग्रहित ग्राम का मुआवजा निर्धारण नहीं हुआ है, उन ग्रामों में इस कानून के तहत अनुसूची एक, दो एवं तीन को लागू किया जाना है। इस कानून के अनुसूची एक के अनुसार किसानों को बाजार भाव का चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान है। गेवरा, दीपका, कोरबा क्षेत्र मे भी इस कानून का लाभ ग्रामीणों को मिलेगी।

माटी अधिकार मंच के अध्यक्ष ब्रजेश श्रीवास ने इस कानून का लाभ ग्रामीणों को प्रदान करने जिलाधीश एवं वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगाई है। माटी मंच के द्वारा ग्रामीणों को इसका लाभ दिलाने सक्रियता के साथ कार्य किया जाएगा।