पर्व के 10 लक्षणों में से प्रथम    लक्षण उत्तम क्षमा धर्म

पर्यूषण पर्व आत्म साधना का एक साधन है : पं.रोहित जैन

कोरबा। पर्यूषण पर्व आत्म साधना का एक साधन है। मनुष्य ने जीवन में यदि अपने आप को साधना में ढाल लिया तो जीवन सार्थक व उपयोगी बन जाता है। यह बात श्रमण संस्कृति संस्थान किशनगढ़ जयपुर राजस्थान से आए पं.रोहित जैन शास्त्री ने रविवार को श्री दिगंबर जैन मंदिर बुधवारी बाजार में पर्यूषण पर्व के शुभारंभ अवसर पर कही।


उन्होंने कहा यह शाश्वत पर्व है, यह सभी को जगाने का कार्य करता है। व्यक्ति मोह, माया ,राग, द्वेष की निद्रा में सो रहा है। प्रतिदिन नए परिग्रह का संचय करता है, उन सबसे मुक्त होने का तरीका इन 10 धर्म के लक्षणों के पर्व में है। धर्म के 10 लक्षणों में प्रथम लक्षण उत्तम क्षमा पर प्रकाश डालते हुए पं.रोहित जैन ने बताया की क्षमा आत्मा का स्वभाव है। क्षमा स्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में जो क्रोध का अभाव रूप,शांति स्वरूप पर्याय प्रकट होती है उसे भी क्षमा कहते हैं। यदि व्यक्ति क्षमाशील होगा तो वह अपने अंदर में क्षमा के भाव धारण कर लेगा।


कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित रोहित शास्त्री ने प्रात: 7 बजे सामूहिक अभिषेक शांति धारा, नित्य नियम पूजा, देव शास्त्र पूजा, गुरु पूजन के साथ किया। पर्यूषण पर्व की प्रथम दिवस पर श्री जी को विराजमान जेके जैन, मनीष जैन,राजीव जैन ने किया। श्री जी पर छत्र रतनचंद, सुषमा, मंजूलता एवं राजेश जैन ने चढ़ाया।

कार्यक्रम में डॉ.प्रदीप जैन डॉ. प्रिंस जैन ने ध्वजारोहण किया। अभिषेक हेतु श्री जी को विराजमान अनुज जैन, सिद्धांत जैन एवं छत्र प्रमोद जैन ने चढ़ाया। मंगल कलश स्थापना अनुज जैन ने सपरिवार की।

उक्त कार्यक्रम में जैन मिलन समिति के समस्त संरक्षक शांत कुमार जैन, अजीत लाल जैन, सुधीर जैन, कोषाध्यक्ष महेंद्र कुमार जैन, उपाध्यक्ष दिनेश जैन, सांस्कृतिक प्रभारीअखिलेश जैन, मनीष जैन एवं समस्त जैन समाज के लोग उपस्थित थे।