कोरबा । छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के प्लान ऑफ एक्शन अनुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के एडीआर भवन जिला न्यायालय परिसर में कार्यस्थल में कार्य करने वाली महिलाओं के यौन उत्पीडऩ के रोकथाम हेतु जागरुक किये जाने विधिक जागरूकता शिविर सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उक्त अवसर पर सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा कि भारतीय सभ्यता का यह इतिहास रहा है कि महिलाओं को सबसे पहले बड़े सम्मानपूर्ण देखा जाता रहा है। उसके पश्चात् युग बदलता गया। महिलाओं को कई बार प्रताडि़त होना पड़ा, अपमान सहना पड़ा। उसके बाद नियम बनाये गये तथा सतीप्रथा का विरोध कर रोक लगाई गई और अब यौन उत्पीडऩ की रोकथाम अधिनियम 2013 लागू किया गया।
अब महिलाएं भी कार्य करने के लिये बाहर जाते हैं तो सजग रहने की आवश्यकता है। कार्यस्थल पर किसी के साथ महिला प्रताडऩा जैसी घटना सामने आती है तो तुरंत कार्यवाही करवायें। जहां महिलाएं प्रताडि़त हो रही हैं वहां हम सबको जागरूक होने की आवश्यकता है।
जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश एस्ट्रोसिजिट एक्ट ने कहा कि जब कार्यस्थल पर यह घटना हो रही है तो महिला जोर से चिल्ला कर उसके व्यवहार का विरोध करें, जिससे पीडि़त महिला को हिम्मत भी मिलेगी और अपराधी दुबारा हरकत करने से हिचकिचायेगा। श्रीमती गरिमा शर्मा, प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी व्यक्ति यदि दुव्र्यव्हार आचरण करता है तो संकोच किये बिना उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिये।
एएसपी श्रीमती नेहा वर्मा, श्रीमती रजनी मारिया, जिला महिला संरक्षण अधिकारी, कु. डिम्पल, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, न्यायाधीश ओंकार प्रसाद गुप्ता, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय, जिला अपर सत्र न्यायाधीश, श्रीमती ममता भोजवानी, ज्योति अग्रवाल, अश्वनी चतुर्वेदी, कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चन्द्रा, व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, मंजीत जांगड़े, नवनियुक्त व्यवहार न्यायाधीश, लवकुमार, पुलिस, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं मितानीन, जिला न्यायालय के महिला कर्मचारी, महिला पैरालीगल वॉलीण्टियर्स आदि उपस्थित थे।
Editor – Niraj Jaiswal
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