कोरबा । नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरूआत को लेकर स्कूलों में बच्चों के लिए निःशुल्क पुस्तकों का वितरण तो किया जा रहा है लेकिन कापियां नहीं आई हैं। निःशुल्क मिलने वाली इस सुविधा से इस बार प्राथमिक, मिडिल और हाई स्कूल के ढाई लाख विद्यार्थी वंचित होंगे। अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
शिक्षा की नींव मजबूत करने के लिए पाठ्यपुस्तक निगम ने पुस्तकों के हर पाठ में बारकोड की सुविधा दी है। जिसका उद्देश्य विषय की आनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा देना है। साथ ही शिक्षक की कमी से जूझ रहे स्कूलों में पढ़ाई को कारगर बनाना है। जिले के 412 में से 42 ग्राम पंचायतों में आज भी नेटवर्क की सुविधा नहीं है।
असुविधा के कारण डेढ़ लाख बच्चे तकनीकी सुविधा से वंचित हैं। तीन साल पहले हुई कोरोना महामारी ने पढ़ाई लिखाई की दिशा और दशा बदल कर रख दी है। आनलाइन पढ़ाई के विकल्प का सामने लाकर रख दिया। साथ पुस्तकों बारकोड की भी सुविधा दी गई। इसका उदेश्य यह भी है कि यदि को विद्यार्थी किसी कारणवश विद्यालय में अनुपस्थिति रहता है तो वह बारकोड के माध्यम से मोबाइल में स्कैन की उस दिन की पढ़ाई को पूरा कर सकते है।
तकनीकी व्यवस्था के भरोसे शैक्षणिक सत्र की नैया पार कराने वाले शिक्षा विभाग के सामने नेटवर्क की कमी ने समस्या खड़ी कर दी है। जिले के श्यांग, लेमरू, साखो, हरदीमौहा, दूधीटांगर, मेरई, जैसे वनांचल आदिवासी गांव के लोगाें को नेटवर्क से जुड़ने के लिए निकटवर्ती शहर या उपनगरीय क्षेत्र में आना पड़ता है। इससे ई-बुक शिक्षा की बेहतरी का आकलन किया जा सकता है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन स्तर पर अब तक कोई पहल नहीं की गई।
नेटवर्क की कमी से शैक्षणिक गतिविधि का प्रभावित होना नई बात नहीं है। इससे पहले भी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति का आनलाइन रिकार्ड रखने के लिए थंब मशीन लगाया गया था, जो नेटवर्क के अभाव में कबाड़ हो चुके हैं। शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचते हैं या नहीं इसका भी ग्रामीण क्षेत्रों में सही आकलन नहीं हो रहा। सत्र की शुरूवात होने में कुछ दिन का समय शेष है।
शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल प्रमुखों को स्कूल खुलने के पहले शाला प्रबंध समिति की बैठक लेकर पढ़ाई शुरू करने के लिए कहा था। अभी भी अधिकांश स्कूलों में बैठक नहीं हो पाई है। अधिकांश स्कूलों में पुस्तक वितरण का काम पूरा नहीं हो सका है। बीते वर्ष सत्र शुरू होने से पहले की पुस्तकाें का वितरण किया जा चुका है। कापी वितरण पर गौर किया जाए तो प्रायमरी में दो और मिडिल हाई स्कूल में तीन-तीन कापियां प्रदान की गई थी।
आनलाइन पढ़ाई जितनी प्राथमिक शाला के लिए चुनौती भरी है, उससे भी कहीं अधिक हाई व हायर सेकेंडरी के लिए मुश्किलों भरा है। नेटवर्क सुविधा की दृष्टि से कटघोरा और करतला विकासखंड की दशा बेहतर है। मैदानी और सघन बसाहट वाले क्षेत्र होने से दोनों विकासखंड के लगभग सभी पंचायत नेटवर्क क्षेत्र में आते हैं। दूसरी ओर पाली, कोरबा और खासकर पोड़ी उपरोड़ा के गांव आनलाइन पढ़ाई की दृष्टि से बेहतर नहीं हैं। इन क्षेत्रों में कक्षा में होने वाली पढ़ाई का ही भरोसा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ कई शिक्षक संसाधन की कमी से जूझते हुए भी बेहतर परिणाम दे रहे हैं। वहीं ऐसे भी शिक्षक हैं। जो पढ़ाई के नाम पर औपचारिकता का निर्वहन कर रहे हैं।
उपलब्ध नहीं एंड्राइड मोबाइल
पाठ्यपुस्तक निगम ने आनलाइन से जोड़कर पढ़ाई का सरलीकरण कर दिया है। इससे बच्चे पुस्तक के अलावा मोबाइल पर भी इंटरनेट सुविधा से पाठ्यक्रम को विस्तार से समझ सकते हैंं। मुश्किल यह है कि जहां नेटवर्क है, वहां भी ऐसे कई दिहाड़ी मजदूर परिवार हैं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है। ऐसे में उनके बच्चे सुविधा अछूते हैं। अभिभावकों को आनलाइन पढ़ाई से बच्चों को जोड़ने के लिए मोबाइल खरीदने प्रेरित किया जा रहा हैं। आर्थिक तंगी भी आनलाइन पढ़ाई के आड़े आ रही है।
145 अतिशेष शिक्षक पदस्थ हैं शहर के स्कूलों में
उन्नयन के हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में अब भी 109 शिक्षकों की कमी बनी हैं। रिक्त पद वाल सभी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल हैं। वहीं शहर में ऐसा एक भी स्कूल नहीं जहां अतिशेष शिक्षक न हो। अपनी सुविधा के लिए शिक्षकों ग्रामीण क्षेत्र को शहर में स्वयं को अटैच करा रखा है। जिला शिक्षा विभाग के रिकार्ड के अनुसार 145 अतिशेष शिक्षक हैं, जिन्हे उनके मूल पद में भेजा जाए तो ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाई की दशा सुधर सकती है।
प्रतिवर्ष 70 से 80 शिक्षक हो जाते हैं सेवा निवृत्त
स्कूलाें में प्रतिवर्ष 70 से 80 शिक्षक सेवानिवृत्त हो जाते हैं। लंबे समय से शिक्षकी भर्ती नहीं किए जाने से स्कूलो में पढ़ाई प्रभारी शिक्षक के भरोसे चल रहा है। प्राथमिक शाला छुरी, झोरा, गांगपुर आदि ऐसे स्कूल हैं जहां एक मात्र शिक्षक पदस्थ थे, जिनके सेवानिवृत्त हो जाने के बाद वहां पढ़ाई प्रभारी शिक्षक के दम पर चल रहा है।
बीते वर्ष एकल शिक्षकीय प्रायमरी स्कूलों की संख्या 106 थी वह बढ़कर इस वर्ष 113 हो गई है। शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है। 118 अतिथि शिक्षकों की होगी भर्ती शिक्षकों की कमी केवल प्रायमरी व मिडिल स्कूल ही नहीं बल्कि हाई व हायर सेकेंडरी में भी है। इस की वजह से विज्ञान, वाणिज्य की पढ़ाई अधिक प्रभावित होती है।
अव्यवस्था को देखते हुए जिला प्रशासन ने 118 अतिथि शिक्षकों की भर्ती को सहमति दी है। अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। आवेदन लेने से दावा आपत्ति, अंतिम सूची जारी किए जाने तक माह भर का समय गुजर जाता है। शिक्षकों की नियुक्ति प्रशासन की ओर से तो कर दी जाती लेकिन समय मानदेय भुगतान नहीं किया जाता। इस वजह से शिक्षक बीच में अध्यापन छोड़ देते हैं। जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। नवीन शिक्षा सत्र की तैयारियां की जा रही हैं।
Editor – Niraj Jaiswal
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