रायगढ़ के जंगलों में बाघ की दहशत, वन विभाग सतर्क, ग्रामीणों में खौफ

रायगढ़ । धरमजयगढ़ वन मंडल के जंगलों में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। छाल रेंज में बाघ के बड़े-बड़े पंजों के निशान मिलने के बाद वन विभाग ने लैलूंगा रेंज में भी इसके पदचिन्हों की पुष्टि की है। इसके चलते 12 से अधिक गांवों में मुनादी कर ग्रामीणों को सावधान रहने की हिदायत दी गई है।

वन विभाग की सक्रियता
धरमजयगढ़ के डीएफओ जितेन्द्र कुमार उपाध्याय ने बताया कि बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 6 टीमें तैनात की गई हैं। ग्रामीणों को जंगल में न जाने और मवेशियों को चराने से बचने की सलाह दी गई है, क्योंकि बाघ के मवेशियों पर हमले की आशंका है। विभाग ने पेट्रोलिंग और जागरूकता अभियान तेज कर दिया है।

हाथियों के बाद अब बाघ का खतरा
रायगढ़ और धरमजयगढ़ के दर्जनों गांव पहले ही जंगली हाथियों के आतंक से जूझ रहे हैं। अब बाघ की मौजूदगी ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है। लोग रात में पहरा दे रहे हैं और मवेशियों को जंगल के बजाय सड़कों के किनारे चराने को मजबूर हैं।

विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि रायगढ़ के घने जंगलों में भोजन और पानी की उपलब्धता के कारण बाघ की मौजूदगी संभव है, हालांकि यह असामान्य है।

ग्रामीणों से अपील
वन विभाग ने ग्रामीणों से अनुरोध किया है कि बाघ या अन्य वन्यजीवों की गतिविधि दिखने पर तुरंत सूचना दें। वन विभाग और प्रशासन मिलकर जन-सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण के लिए रणनीति बना रहे हैं। रायगढ़ में पहली बार हाथियों के बाद बाघ की मौजूदगी ने क्षेत्र में नई चुनौती पेश की है।