रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम में प्रस्तावित 1320 मेगावॉट के सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट का निर्माण कार्य अगले माह 16 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। इसके लिए चिन्हित जमीन पर पेड़-पौधों को काटकर साफ करने का काम शुरू हो चुका है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 15,800 करोड़ रुपये है, और यह 660-660 मेगावॉट की दो इकाइयों के साथ प्रदेश का सबसे बड़ा और आधुनिक संयंत्र होगा।
प्रदेश सरकार ने इस प्लांट के संचालन के लिए 140 नए पदों को मंजूरी दी है, जो दो चरणों में सृजित किए जाएंगे। इनमें सहायक मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, कार्यपालन अभियंता, वेतन अधिकारी, और लेखापाल जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं, और 16 अगस्त से जमीन पर गड्ढे खोदकर आधारशीला रखने का काम शुरू होगा। इस प्लांट को 2029 तक लाइटअप करने और उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य है।
नए संयंत्र के चालू होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी की ताप विद्युत संयंत्रों से उत्पादन क्षमता 2840 मेगावॉट से बढ़कर 4160 मेगावॉट हो जाएगी। वर्तमान में कंपनी की ताप और जल विद्युत से कुल उत्पादन क्षमता 2978 मेगावॉट है। यह परियोजना भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से बनाई जा रही है, और BHEL के अधिकारी पहले ही दर्री पहुंच चुके हैं।
इस परियोजना का शिलान्यास पूर्व में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में घंटाघर में किया गया था, जबकि मार्च 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलासपुर में वर्चुअल माध्यम से इसके निर्माण कार्य का शुभारंभ किया। यह सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित हसदेव ताप विद्युत संयंत्र (HTPS) के चौथे चरण का हिस्सा है, जो कोयले की उपलब्धता के लिए कन्वेयर बेल्ट सुविधा का उपयोग करेगा।
यह नया संयंत्र न केवल प्रदेश की बिजली जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा। कोरबा, जो छत्तीसगढ़ की ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है, इस परियोजना से और मजबूत होगा।
Editor – Niraj Jaiswal
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