रायपुर। छत्तीसगढ़ की मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, हेल्थ डेस्क फेसिलिटेटर और ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर आज, 7 जुलाई से प्रदेशभर में काम बंद-कलम बंद हड़ताल पर चली गई हैं। प्रदेश स्वास्थ्य मितानिन संघ, रायपुर के आह्वान पर यह हड़ताल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में संविलियन, मासिक वेतन में 50 फीसदी वृद्धि, और अन्य मांगों को लेकर शुरू की गई है। इस हड़ताल से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की आशंका है।
घोषणापत्र के वादे अधूरे
मितानिनों का कहना है कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने घोषणापत्र में मितानिनों, प्रशिक्षकों, ब्लॉक को-ऑर्डिनेटरों और हेल्प डेस्क फेसिलिटेटरों को एनएचएम में संविलियन और वेतन में 50 फीसदी वृद्धि का वादा किया था। हालांकि, दो साल बाद भी ये वादे पूरे नहीं हुए हैं। मितानिनों ने शासन पर मांगों की अनदेखी का आरोप लगाया है। इससे पहले 13 दिसंबर 2024 से अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई थी, जिसे संचालक एनएचएम के आश्वासन के बाद स्थगित किया गया था।
मितानिनों की प्रमुख मांगें
प्रदेश स्वास्थ्य मितानिन संघ ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों में शामिल किया है:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मितानिनों का संविलियन और मासिक वेतन में 50 फीसदी वृद्धि।
एनजीओ के साथ काम न करने की मांग।
आशा रिसोर्स सेंटर के अंतर्गत मितानिन कार्यक्रम के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करना।
मितानिन ट्रेनर के लिए एनएचएम आरओपी 2024 में स्वीकृत 400 रुपये प्रतिमाह की राशि का तत्काल भुगतान।
मितानिन कल्याण कोष का लाभ यथावत बनाए रखना।
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
हड़ताल के कारण प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण, आयुष्मान कार्ड, शिशु संरक्षण कार्यक्रम, प्रसव और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। मितानिनों ने शासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है और चेतावनी दी है कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन और तेज किया जाएगा।
Editor – Niraj Jaiswal
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