हिरासत में मौत के मामले में हाईकोर्ट ने मृतक की मां को 2 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया

बिलासपुर/ कोरबा।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कोरबा निवासी सूरज हथेल की हिरासत में हुई मौत के मामले में उनकी मां प्रेमा हथेल को 2 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए मौद्रिक मुआवजा दिया जाना चाहिए।

कोरबा के बुधवारी बाजार निवासी प्रेमा हथेल ने अपने बेटे सूरज हथेल की हिरासत में हुई मौत के मामले में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से स्वतंत्र जांच, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने तथा मुआवजा देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी और राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने दलीलें पेश कीं।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यह हिरासत में मौत का मामला है, हालांकि न्यायिक जांच रिपोर्ट के अनुसार सूरज की मृत्यु मायोकार्डियल इंफेक्शन के कारण हुई, क्योंकि वह कोरोनरी धमनियों की बीमारी से पीड़ित थे।

डबल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों और दस्तावेजों का अवलोकन कर कहा कि राज्य अपने कर्मचारियों के अत्याचारपूर्ण कृत्यों के लिए जिम्मेदार है और मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 27 वर्षीय सूरज हथेल की असामयिक मृत्यु के कारण उनकी मां ने संपत्ति, प्यार, स्नेह और निर्भरता खो दी है। इसलिए, राज्य को आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को 2 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।

ऐसा न करने पर आदेश की तारीख से 9% वार्षिक ब्याज लागू होगा। सचिव, गृह एवं पुलिस मामले, छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस महानिदेशक को इसकी अनुपालना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को आदेश की प्रति तत्काल गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया। इस फैसले से याचिकाकर्ता को कुछ हद तक न्याय मिलने की उम्मीद है।