अलग रजिस्ट्रेशन का बनाया बोगस नियम, मुख्यमंत्री से शिकायत

अपनों को काम देने डीएसपीएम के एसई थोप रहे मनमानी शर्तें

कोरबा । कोरबा स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 500 मेगावाट वाले ताप विद्युत संयंत्र में ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं को कामकाज करने की स्वतंत्रता भले ही सरकार और बिजली कंपनी ने दे रखी है लेकिन सिविल विभाग के प्रमुख अधिकारी अपनी मुर्गी की एक टांग वाले अंदाज में काम कर रहे हैं।

सिविल के एसई के द्वारा अपने चहेतो को काम देने और दूसरे लोगों को ऐसे कार्यों से अलग-थलग रखने के लिए मनमाने नियम बनाए जा रहे हैं और शर्तें थोपी जा रही है। कोरबा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रवास पर इस बारे में तथ्यात्मक शिकायत की गई।

मुख्यमंत्री को बताया गया कि डीएसपीएम के सुपेरिंटेंडिंग इंजीनियर (सिविल) एचएल भौरया के द्वारा अपनी कारगुजारियों से मैन्युअल निविदाओं में भ्रष्टाचार करते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री को बताया गया कि विद्युत कंपनी में निविदाएं ऑनलाइन पद्धति से भरी जाती हैं जिसके लिए ठेकेदारों को कंपनी का वेंडर कोड लेना अनिवार्य होता है। परंतु निविदा ऑनलाइन होने के कारण प्लांट के अधिकारियों को उसमें भ्रष्टाचार करने का अवसर प्राप्त नहीं होता है। इसी कारण अपना निजी स्वार्थ साधने के लिए एचएल भौरया के द्वारा कार्यों को छोटे हिस्सों में बाँटकर 2 लाख रुपये मूल्य की निविदाएँ मैन्युअल पद्धति से जारी की जा रही है जिसमें पृथक रजिस्ट्रेशन व मनमानी शर्तें जोडक़र एच एल भौरया के द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री को दिए गए पत्र में भाजपा आरटीआई सेल के प्रमुख और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नवनीत राहुल शुक्ला ने बताया कि कंपनी का वेंडर कोड होने के पश्चात भी ठेकेदारों को इन 2 लाख की मैन्युअल निविदाओं में भाग लेने के लिए प्लांट के सिविल विभाग में पृथक से रजिस्ट्रेशन करवाने कहा जाता है। परंतु यह रजिस्ट्रेशन सिविल विभाग के सुपेरिंटेंडिंग इंजीनियर एच एल भौरया की इजाजत के बिना नहीं किया जा रहा है।

जो भी ठेकेदार रजिस्ट्रेशन कराने आता है उसे बाबू द्वारा एच एल भौरया से मिलने कह दिया जाता है अधिकारी का इशारा नहीं होने पर ठेकेदार कुछ नहीं कर सकते। इतना ही नहीं शिकायत करने की मंशा होने पर भी ठेकेदार सफल नहीं हो पाते क्योंकि सिविल अधिकारी ठेकेदार से मिलने से इनकार कर देते हैं और अगली स्थिति में गेटपास के जरिए रोक दिया जाता है।

मुख्यमंत्री और श्रम उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन को भी इस बारे में जानकारी दी गई है तथा कार्यवाही करने की मांग की गई है।

आलमारी व फर्नीचर खरीदी के नियम पर सवाल
जानकारी के अनुसार हाल में ही डीएसपीएम सिविल विभाग द्वारा जारी अलमारी व फर्नीचर खरीदी की निविदा में खेल कर दिया गया। दो लाख के अलमारी व फर्नीचर खरीदी हेतु सिविल कार्य में अनुभवी व ब से ऊपर श्रेणी के पंजीकृत ठेकेदारों को ही निविदा में हिस्सा लेने का मापदंड रखा गया।

उपरोक्त शर्तों से यह स्पष्ट है की उक्त निविदा में किसी विशेष ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का प्रयास एच एल भौरया के द्वारा किया गया है। कहा गया कि मैन्युअल निविदाओं के लिए पृथक रजिस्ट्रेशन के नियम को समाप्त करने, प्लांट में ठेकेदारों को कार्य से संबंधित विभाग की जानकारी देने पर प्रवेश प्रदान करने तथा भ्रष्टाचार में लिप्त सिविल विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर भौरया व अन्य अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की।