स्कूल युक्तियुक्तकरण का विरोध: बरपाली प्राथमिक शाला के स्थानांतरण पर ग्रामीण नाराज

कोरबा। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण नीति के तहत कोरबा जिले के विकासखंड कटघोरा में बरपाली प्राथमिक शाला को खमरिया में स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है। इस निर्णय का स्थानीय ग्रामीणों, स्कूल प्रबंधन समिति और शिक्षकों ने तीव्र विरोध किया है।

ग्रामीणों और स्कूल प्रबंधन समिति ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को पत्र सौंपकर बरपाली प्राथमिक शाला को यथावत रखने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा तकनीकी कारणों से स्कूल को खमरिया में समायोजित करने का निर्णय लिया गया है, जो बरपाली से डेढ़ किलोमीटर दूर है।

यह दूरी शहरी क्षेत्रों के लिए निर्धारित 500 मीटर की सीमा से कहीं अधिक है। ग्रामीणों का तर्क है कि इस स्थानांतरण से शिक्षकों और छात्रों को प्रतिदिन डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, जो विशेष रूप से बारिश और ठंड के मौसम में कठिनाइयों का कारण बनेगी।

स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सरपंच ने जिला कलेक्टर को सौंपे पत्र में कहा, “युक्तियुक्तकरण का मतलब स्कूल को स्थायी रूप से बंद करना और छात्रों-शिक्षकों की परेशानी बढ़ाना है।

बरपाली का स्कूल लंबे समय से सुचारू रूप से चल रहा है और इसे स्थानांतरित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।” ग्रामीणों ने प्रशासन पर युक्तियुक्तकरण के नियमों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया।

कोरबा में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया

कोरबा जिले में युक्तियुक्तकरण के तहत कई प्राथमिक और मिडिल स्कूलों का समायोजन किया गया है। इस प्रक्रिया में अतिशेष शिक्षकों की पहचान कर उन्हें अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जा रहा है।

प्रशासन का दावा है कि नई व्यवस्था के तहत मिडिल स्कूलों में कम से कम तीन शिक्षक और प्राथमिक स्कूलों में कम से कम दो शिक्षक सुनिश्चित किए जाएंगे। जिले में 90 एकल-शिक्षक स्कूलों की स्थिति को बेहतर करने के लिए अतिशेष शिक्षकों को तैनात किया जा रहा है।

इसके अलावा, यदि शिक्षकों की कमी रहती है, तो जिला खनिज न्यास निधि से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, जिसमें प्राथमिकता उन लोगों को दी जाएगी जो पहले से अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

ग्रामीणों की मांग

बरपाली के ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल को उसके मूल स्थान पर ही संचालित करने की अनुमति दी जाए। उनका कहना है कि स्कूल की वर्तमान व्यवस्था में कोई समस्या नहीं है, और इसे स्थानांतरित करना केवल परेशानी का सबब बनेगा। इस मुद्दे पर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।