केएमसी को मिली एक और देह दान में, अनुसंधान करेंगे छात्र

जनजागरूकता का असर दिख रहा जिले में

कोरबा। नेत्रदान व देहदान को लेकर जनजागरूकता अभियान के अच्छे परिणाम जिले में आ रहे हैं। कोरबा के मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा छात्रों की सहुलियत में विस्तार हुआ है। चैनपुर बसाहट निवासी 80 वर्षीय सुजान सिंह की पिछली रात मृत्यु हो गई। पूर्व संकल्प के आधार पर परिजनों ने उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज को सुपुर्द कर दिया। एमबीबीएस के छात्र एनाटामी की पढ़ाई करने के दौरान इस प्रकार के पार्थिव शव से जानेंगे कि आंतरिक प्रक्रिया कैसे काम करती है।


पत्नी शकुंतला सिंह ने बताया कि काफी समय पहले पति ने देहदान की इच्छा जताई थी और इस बारे में परिजनों को अवगत कराया था। उनके दत्तक पुत्र बहस राम ने भी इस बात की पुष्टि की और बताया कि इच्छा का सम्मान करते हुए हमने मेडिकल कॉलेज को इस बारे में सूचित किया। अगली कड़ी में प्रक्रिया पूरी की गई।

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. केके सहारे ने देहदान को लेकर कहा कि कोरबा जिले में जनजागरूकता का वातावरण बना है और लोगों की गलतफहमियां दूर हो रही है। अधिकतम 55 वर्ष तक की उम्र के ऐसे व्यक्ति जो किसी बीमारी से ग्रसित नहीं होते और उनकी मृत्यु होने की स्थिति में उनके शरीर के कई अंग प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त होते हैं।

जानकारी मिली कि मृतक सुजान सिंह मुनीन्द्र ट्रस्ट से जुड़े थे। देहदान के दौरान संस्था के अजय कुमार कुर्रे, धरम दास महंत,सुमिरन कंवर, हेमंत कुमार गभेल, बाबूदास मानिकपुरी, दिलीप कुमार बरेठ, अंकित श्रीवास, विकास दास,संतोष दास महंत, रघुवीर दास, चिमन यादव, गोरेलाल कंवर, होरीलाल श्रीवास, उमाशंकर पटेल, पार्वती गभेल, इंदु महंत, शिवकुमारी महंत, सुरितपाल पटेल आदि उपस्थित थे।


भारत विकास परिषद की कोशिश का असर

पिछले दिनों भारत विकास परिषद की नई कार्यकारिणी कोरबा में गठित हुई। उसने कई अच्छे संकल्प लिए और काम करना शुरू किया। इसमें नेत्रदान और देहदान के प्रति वातावरण निर्माण को शामिल किया गया। एक पूरी टीम इस अभियान में जुड़ी हुई है। अलग-अलग आयाम इसमें शामिल किए गए और जनचेतना की दिशा में कोशिशें तेज की गई।

खबर है कि कई प्रकार की गलत फहमियां दूर करने का काम यह अभियान कर रहा है।