कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के गेवरा क्षेत्र में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ओपनकास्ट खदान, गेवरा माइंस के कोल स्टॉक बी-2 में दो गुटों के बीच हुई हिंसक मारपीट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने कोयला उठाव और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है, जिसके चलते प्रबंधन पर जवाबदेही तय करने का दबाव बढ़ गया है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने सुरक्षा को मजबूत करने के लिए गेटपास सिस्टम लागू करने का सुझाव दिया है, जिसे SECL प्रबंधन ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है।
हिंसक घटना ने बढ़ाई चिंता
हाल ही में कोल स्टॉक बी-2 में रूंगटा से जुड़े दो कामगारों के साथ हुई मारपीट में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दीपका पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह 2025 की सबसे बड़ी हिंसक घटना मानी जा रही है, जिसकी जानकारी कोल इंडिया और शासन तक पहुंची है। इस घटना ने कर्मचारियों और ट्रांसपोर्टरों के स्टाफ में भय का माहौल पैदा कर दिया है, और सभी को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है।
CISF का सुझाव: गेटपास सिस्टम लागू हो
CISF ने प्रबंधन के साथ चर्चा में कोल स्टॉक में अनधिकृत लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए गेटपास सिस्टम लागू करने की सिफारिश की है। एक CISF अधिकारी ने बताया कि SECL प्रबंधन से लोडिंग पॉइंट्स पर काम करने वाले अधिकृत लोगों की सूची मांगी गई है। इस सूची का सत्यापन कर गेटपास जारी किए जाएंगे, जिसके आधार पर ही कोयला उठाव की अनुमति दी जाएगी। इससे गैर-जरूरी लोगों की पहुंच रोकी जा सकेगी और विवाद की स्थितियां कम होंगी। प्रबंधन ने जल्द ही कोल लिफ्टर्स और संबंधित कर्मियों की सूची उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
कोयला उठाव में अनियमितताओं का खतरा
गेवरा माइंस, जो 2023-24 में 59 मिलियन टन कोयला उत्पादन के साथ देश की सबसे बड़ी खदान है, विभिन्न उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी करती है। रोडसेल के जरिए कोयला उठाव से कोल लिफ्टर्स और उन पर आश्रित लोगों की आजीविका चल रही है। हालांकि, अधिक मुनाफे की होड़ में अनधिकृत गतिविधियां और विवाद बढ़ रहे हैं। कोल स्टॉक में मुंशी और अन्य लोगों की अनावश्यक मौजूदगी से तनाव की स्थिति बन रही है, जिसे गेटपास सिस्टम से नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।
प्रबंधन पर बढ़ा दबाव
इस घटना ने SECL प्रबंधन के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। कोल स्टॉक में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। CISF के सुझावों पर अमल करने के साथ-साथ प्रबंधन को कर्मचारियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच भय का माहौल खत्म करने और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना होगा। शासन और कोल इंडिया की नजर इस मामले पर बनी हुई है, और जल्द ही प्रभावी कदम उठाए जाने की उम्मीद है।
गेवरा माइंस की उत्पादन क्षमता और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा में इसकी भूमिका को देखते हुए, कोल स्टॉक में सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रबंधन की प्राथमिकता होनी चाहिए। गेटपास सिस्टम लागू होने से न केवल अनधिकृत प्रवेश रुकेगा, बल्कि कोयला उठाव की प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी और सुरक्षित हो सकेगी। यह देखना बाकी है कि प्रबंधन कितनी तेजी से इन उपायों को लागू करता है और कर्मचारियों में विश्वास बहाल करता है।
Editor – Niraj Jaiswal
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