शिक्षक का 30 लाख का फर्जीवाड़ा, मेडिकल बिल में घोटाला, BEO भी जांच के दायरे में


बिलासपुर। बिल्हा ब्लॉक के एक स्कूल में शिक्षक साधेलाल पटेल द्वारा फर्जी मेडिकल बिल के जरिए 30 लाख रुपये के घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। शिकायतकर्ता धनंजय की कलेक्टर अवनीश शरण को लिखित शिकायत के बाद मामले का पर्दाफाश हुआ। शिक्षक ने अपने, पत्नी और साले के नाम पर फर्जी और छेड़छाड़ किए गए मेडिकल बिल जमा कर शासन को चूना लगाने की कोशिश की।

हैरानी की बात यह है कि ये बिल शासन से पास भी हो गए, लेकिन भुगतान से पहले फर्जीवाड़ा उजागर हो गया।

शिकायत में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। शिक्षक ने 29 अगस्त 2024 को 77,564 रुपये का बिल जमा किया, जो असल में शिक्षक असीम वर्मा का था। 27 अगस्त 2024 को उमाशंकर चौधरी के नाम पर 5.42 लाख का बिल दिया गया, जिसकी मूल राशि मात्र 1.43 लाख थी। इसी तरह, राजकुमारी पटेल के नाम पर 4.03 लाख और 7.32 लाख के बिल जमा किए गए, जबकि उनके असली बिल क्रमशः 47,000 और 32,000 रुपये के थे। स्व. नरेंद्र कुमार चौधरी के नाम पर भी 5.33 लाख का फर्जी बिल जमा किया गया। शिकायत में यह भी खुलासा हुआ कि जिन तारीखों में शिक्षक ने खुद को बीमार बताकर बिल जमा किए, उन दिनों वह स्कूल में ड्यूटी पर मौजूद था।

कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसमें प्राचार्य एसके कश्यप और लिपिक घनश्याम दुबे शामिल हैं। समिति को जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

बिल्हा BEO सुनीता ध्रुव भी जांच के दायरे में हैं, क्योंकि उनके ब्लॉक में यह फर्जीवाड़ा हुआ। शिक्षा विभाग ने सभी मेडिकल बिलों की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।